श्रीचित्शक्ति (सौ.) अंजली गाडगीळ सर्वव्यापी, सर्वसंपन्न साक्षात् मां भगवती हैं ।
मनुष्य रूप में जग कल्याण के लिए पृथ्वी पर आईं हैं ।
अपनी प्रीति से विश्व के प्रत्येक प्राणी को अपना बनाती हैं ।। १ ।।
अपने स्पर्श से तन-मन-बुद्धि का आवरण नष्ट कर देती हैं ।
सहज आचरण से ही गुरुभक्ति का पाठ पढा जाती हैं ।। २ ।।
दोष-अहं से मुक्त कर मन निर्मल करने की प्रक्रिया सिखा जाती हैं ।
माया के बंधन से मुक्त कर गुरु-शिष्य के अनोखे बंधन में बांध लेती हैं ।। ३ ।।
साधना मार्ग पर चलते समय प्रत्येक संघर्ष का सामना करना सिखाती हैं ।
कई जन्मों के साधनाफल स्वरूप मोक्ष दिलाने हमारे जीवन में आईं हैं ।। ४ ।।
चैतन्य की वर्षा में भिगोकर सजीव-निर्जीव सभी को चैतन्यमय कर देती हैं ।
वे सर्वव्यापी, सर्वशक्तिमान, सर्वसंपन्न साक्षात् मां भगवती हैं ।। ५ ।।
आपके चरणों में प्रार्थना है, क्षण क्षण गुरुकृपा के प्रति कृतज्ञ रहूं ।
छोटा कण बनकर आपके चरणों में समा जाऊं ।। ६ ।।
– सौ. पुष्पा गोयल (आध्यात्मिक पातळी ६२ टक्के, वय ६७ वर्षे), जयपूर, राजस्थान. (१.१२.२०२४)
येथे प्रसिद्ध करण्यात आलेल्या अनुभूती या ‘भाव तेथे देव’ या उक्तीनुसार साधकांच्या वैयक्तिक अनुभूती आहेत. त्या सरसकट सर्वांनाच येतील असे नाही. – संपादक |