हे प्रभु (परात्पर गुरु डॉ. आठवले), आपके चरणों में शरण आए हैं ।
सर्व साधकांचा आधार असलेले सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले !
माया में भटक गए थे हम ।
आप आए मार्ग दिखाने के लिए ।
भवसागर में डूब रहे थे ।
आप आए हमें उठाने के लिए ।। १ ।।
जीवन की समस्याओं में फंस गए थे ।
जीवन का उत्साह खो बैठे थे ।
आप आए नए उत्साह लेकर ।
आप साथ में हमारे
चल पडे गुरुदेव ।। २ ।।
हर क्षण स्वभावदोष उभर रहे थे ।
जीवन को दुखी कर रहे थे ।
तब आप आए प्रक्रिया (टीप) सिखाने के लिए ।
जीवन को आनंददायक बनाने के लिए ।। ३ ।।
हौंसला टूट रहा था, निराशा बढ रही थी ।
आगे का मार्ग नहीं दिख रहा था ।
तब आप आए हमें दिशा देने के लिए ।
चैतन्य भरने के लिए ।। ४ ।।
असंख्य संकटों से आपने पार करवाया ।
असंख्य समस्याओं को आपने मिटाया ।
असंख्य अनुभूतियां आपने दीं ।
साधना में रखने की कृपा बरसाई ।। ५ ।।
हे प्रभु, आपके चरणों में शरण आए हैं ।
इस दीन के हाथ पकडकर मोक्ष तक ले जाइए गुरुदेव ।
चरणसेवा देकर आपके कृपाछत्र में रखने की प्रार्थना कर रहे हैं ।। ६ ।।
(टीप – प्रक्रिया : स्वभावदोष आणि अहं यांच्या निर्मूलनाची प्रक्रिया)
– चरणदासी,
सौ. शारदा योगीश, बेंगळुरू, कर्नाटक. (३१.७.२०२४)
येथे प्रसिद्ध करण्यात आलेल्या अनुभूती या ‘भाव तेथे देव’ या उक्तीनुसार साधकांच्या वैयक्तिक अनुभूती आहेत. त्या सरसकट सर्वांनाच येतील असे नाही. – संपादक |