न्यू देहली स्थित वैद्य फूलचन्द्र शर्माजी द्वारा ‘सत्-चित्-आनंद गुरु डॉ. जयंत आठवले’ इन अक्षरों से लिखा भावभरा संदेश !
सत् की हैं जो मूर्ति, सत् ही जिनका प्राण ।
चित् वृत्ति निर्मल बनी, हुआ शक्ति का भान ॥
आत्मिक प्रगति के लिए, लगे रहे दिन रात ।
नंदनवन सा बन गया, गोवा हुआ प्रभात ।
दमन नीती के चक्र को, रोका दे सुविचार ॥
‘गु’ अंधकार को दूर कर, किन्हा (किया) ज्ञान प्रसार ।
रुके नहीं चलते रहे, लोक सेवी के भाव ॥
डॉक्टर सा जीवन जिया, धारा सहज स्वभाव ।
जय व पराजय एक-सी, प्रमुख सनातन जान ।
यश-अपयश इच्छुक नहीं, संस्था की निर्माण ।
न्याय नीति अरु रीति (और पद्धति) से, राह प्रीति की पाई ।
तप संयम और त्याग से, उपलब्धी सब आई ॥
आनंदित है स्वयं से, देत सब ही संदेश ।
ठाना मन संकल्प दृढ, हिन्दू राष्ट्र हो देश ।
वरण करें (अपनाएं) निज संस्कृति, देवे हिन्दू ध्यान ।
लेवें अच्छे गुण सभी, अधिवेशन दरम्यान ।
जीवन शैली ठीक हो, अच्छे दें संस्कार ।
इससे सुधरेगा जगत, होगा राष्ट्र सुधार ॥
– वैद्य फूलचन्द्र शर्मा, बी.ए., वैद्य विशारद, आयुर्वेद रत्न (डी.एन्.वाय.एस्.), न्यू देहली. (१३.६.२०२३)