दे दो चरणों में मुक्ति का स्थान गुरुवर ।
साधकांसाठी सर्वस्व असणारे परात्पर गुरु डॉ. आठवले !
पकड लो मेरा हाथ गुरुवर ।
और कुछ नहीं चाहिए ।। १ ।।
ले लो मुझे अपने शरण गुरुवर ।
और कुछ नहीं चाहिए ।। २ ।।
दे दो भक्ति और ज्ञान गुरुवर ।
और कुछ नहीं चाहिए ।। ३ ।।
करवा लो मन अर्पण गुरुवर ।
और कुछ नहीं चाहिए ।। ४ ।।
संभालो मुझको गुरुवर । और कुछ नहीं चाहिए ।। ५ ।।
कर दो मन निर्मल गुरुवर । और कुछ नहीं चाहिए ।। ६ ।।
हर सांस में हो आपका नाम गुरुवर । और कुछ नहीं चाहिए ।। ७ ।।
हर धडकन आपको पुकारे गुरुवर । और कुछ नहीं चाहिए ।। ८ ।।
यह ‘मैं’ भुलाकर हो जाऊं आपकी गुरुवर ।
और कुछ नहीं चाहिए ।। ९ ।।
दे दो चरणों में मुक्ति का स्थान गुरुवर ।
और कुछ नहीं चाहिए ।। १० ।।
– श्रीमती मनीषा मिश्रा, मुजफ्फरपूर, बिहार. (१०.३.२०२१)