हे गुरुदेव, मेरे राम भी आप और मेरे कृष्ण भी आप ।
हे गुरुदेव (टीप), मेरे राम भी आप और मेरे कृष्ण भी आप ।
हनुमान जैसा आज्ञापालन और मीरा जैसी भक्ति हो मेरी ।।
मेरी आँखों में बसे आप और मेरे मन में भी बसे आप ।
ऐसे मेरे मन का भाव और ऐसी गति हो प्रयासों की मेरी ।। १ ।।
जब ये तन-मन और ये जीवन मेरा है ही नहीं ।
जो आपका है, उसकी मुझे क्या चिंता करनी है ।।
आपकी महिमा आपके सिवा और कोई जाने नहीं ।
जैसी आप मुझसे करवा लें, वैसी ही भक्ति करनी है ।। २ ।।
आपातकाल भी एक काल है जो आएगा और जाएगा ।
तन-मन-जीवन सब छूट जाए, पर छूटे न आपका साथ ।।
ये तन तो मिट्टी का है, मिट्टी में ही मिल जाएगा ।
कुछ और न चाहिए अब, जब पकडा है आपने हाथ ।। ३ ।।
कितना भी उजाला हो दिन में, कितनी भी हो रात अंधेरी ।
दिन की धूप में छांव भी आप, रात में प्रकाश भी आप ।।
हनुमान जैसा आज्ञापालन और मीरा जैसी भक्ति हो मेरी ।
हे गुरुदेव, मेरे राम भी आप और मेरे कृष्ण भी आप ।। ४ ।।
टीप – परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी
– अधिवक्त्या (सौ.) अमिता सचदेवा, देहली.