ऐसे हैं हमारे सद्गुरु पिंगळे काका ।
जिनके मुखमंडल को देख सभी प्रश्न अथवा शंका-कुशंका मिट जाती हैं, वे हैं हमारे सद्गुरु पिंगळे काका ।। १ ।।
जिन्हें देख पितृतुल्य अनुभव हो और वही भाव समष्टि में निर्माण है होता, ऐसे हैं हमारे सद्गुरु पिंगळे काका ।। २ ।।
जिन्हें देखकर ही मन विराम (टिप्पणी १) में जाता,
ईश्वर के अनुसंधान में लग जाता;
उनकी वाणी से सबके लिए ज्ञानभंडार खुल जाते,
न भी बोलें तो बहुत कुछ शब्दों के परे सिखा जाते;
जिनके केवल अस्तित्व से समष्टि में ईश्वरीय गुणों का प्रसार और होती समष्टि गुणवृद्धि, बनाते समष्टि को ही गुणातीत हमारे सद्गुरु पिंगळे काका ।। ३ ।।
जाने-अनजाने (टिप्पणी २) लोग भी जब देखें,
तो भाव-विभोर होकर सोचें मिल गए गुरु-सद्गुरु के दर्शन;
जिनके दर्शनमात्र से सबके मन-परिवर्तन हो जाएं,
ऐसे हैं हमारे सद्गुरु पिंगळे काका ।। ४ ।।
व्यष्टि-समष्टि साधना का ध्येय साध्य करने हेतु सतत कार्यरत,
अनुभव हो हमें ब्राह्म-क्षात्रतेज का सुंदर संगम;
तेजतत्त्व धारण कर, समष्टि धर्मप्रसार करनेवाले
ऐसे हैं हमारे सद्गुरु पिंगळे काका ।। ५ ।।
जिनको स्मरण कर तत्त्वनिष्ठा, शरणागति, लीनता,
नम्रता, सहजता, प्रीति गुणों का स्मरण होता,
वे हैं हमारे सद्गुरु पिंगळे काका ।। ६ ।।
जिनका रूप प.पू. गुरुदेवजीका ही प्रतिरूप, वे हैं हमारे सद्गुरु पिंगळे काका ।। ७ ।।
श्रीरामरूपी गुरुदेवजी का आचरण अपने जीवन में उतार, आदर्श समष्टि समक्ष रखनेवाले हमारे सद्गुरु पिंगळे काका ।। ८ ।।
सर्व निरपेक्षभाव से कर, वात्सल्यपूर्ण नेत्रों से समष्टि पर प्रीति बरसानेवाले हमारे सद्गुरु पिंगळे काका ।। ९ ।।
सतत रहते प्राणप्रिय गुरुदेवजी के कार्य में मग्न, उन्हें अपेक्षित व्यष्टि-समष्टि साधना का कैसे करूं श्रीचरणों में समर्पण; बस, रात-दिन करते रहते इसी का चिंतन, ऐसे हैं हमारे सद्गुरु पिंगळे काका ।। १० ।।
उत्कट ऐसे भाव के कारण ईश्वर भी उन पर तत्क्षण प्रसन्न हो जाए, ऐसे हैं हमारे पिंगळे काका ।। ११ ।।
अखंड जिन पर है ईश्वरीय कृपाछत्र, लाभ होता है उनके सहवास में आनेवाले जनको (टिप्पणी ३); सबको आध्यात्मिक लाभ करवानेवाले हैं भक्तवत्सल हमारे सद्गुरु पिंगळे काका ।। १२ ।।
श्रीमत् नारायणरूपी गुरुदेवजी के ‘हिन्दूराष्ट्र स्थापना’ का स्वप्न साकारने के लिए सतत सक्रिय और कर्तव्यदक्ष सद्गुरु पिंगळे काका ।। १३ ।।
त्रिलोकीनाथ योगाधिराज भगवान नारायण विष्णुरूपी अवतार परात्पर गुरुदेव को प्राण प्रिय, सर्वाेत्तम शिष्य का समष्टि के समक्ष आदर्श उदाहरण रखनेवाले हमारे सद्गुरु पिंगळे काका ।। १४ ।।
सद्गुरु पिंगळे काका के माध्यम से ही प.पू. गुरुदेव ने हमारे लिए एक आदर्श व्यक्तित्व कैसा होना चाहिए – आदर्श शिष्य, पिता, पुत्र, पति, साधक, संत, गुरु, समष्टि धर्मप्रसारक, धर्म और राष्ट्रप्रेमी, एक उत्तम नागरिक और भगवान श्रीमद् नारायण ईश्वर का निस्सीम भक्त कैसे हो इसके आदर्श उदाहरण हैं हमारे सद्गुरु पिंगळे काका ! ऐसे अमूल्य रत्न, रत्न-पारखी परम पूज्य गुरुदेवजी ने देकर हम सब पर बडी कृपा की है । उनका हम सभी साधक, शुभचिंतक, धर्माभिमानी, सजीव एवं निर्जीव अपनी साधना के लिए लाभ कर लें, उनसे सीखने की बुद्धि प्राप्त हो, यही श्रीमद् सत्यनारायणरूपी प.पू. गुरुदेवजीके चरणोंमे प्रार्थना है ।
हे श्रीमत् नारायणरूपी गुरुदेव आपके परम प्रिय भक्त सद्गुरु पिंगळे काका के स्मरण में जो कुछ शब्दरूपी मोती मुझसे लिखवा लिए मैं वे आपके ही चरणों में अर्पण करती हूं ।
• टिप्पणी १ – मन का कार्य ही मिट जाता है, शांति पाता है ।
• टिप्पणी २ – साधना न करनेवाले,
• टिप्पणी ३ – लोगोंको’
– सौ. रंजना गौतम गडेकर, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (२५.५.२०१९)
येथे प्रसिद्ध करण्यात आलेल्या अनुभूती या ‘भाव तेथे देव’ या उक्तीनुसार साधकांच्या वैयक्तिक अनुभूती आहेत. त्या सरसकट सर्वांनाच येतील असे नाही. – संपादक |