सनातन की ग्रंथमाला : भावजागृति हेतु साधना
भाव के प्रकार एवं जागृति
- भाव का अर्थ एवं विशेषताएं कौनसी हैं ?
- साधना में भाव का असाधारण महत्त्व क्यों है ?
- व्यक्त भाव की अपेक्षा अव्यक्त भाव श्रेष्ठ क्यों है ?
- शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति के लिए लगन तथा भाव में क्यों आवश्यक है ?
भाग १ : कृष्णभक्ति का आनंद देनेवाले चित्र
‘बालभाव में साधक का भाव बालक समान निर्मल होता है । ‘विविध प्रसंगों में वे स्वयं बच्ची बनकर उनके साथ साक्षात भगवान श्रीकृष्ण हैं, साधिका का यह भाव चित्रों में प्रतीत होता है । बालभाव व्यक्त करनेवाले तथा कला की दृष्टि से भी सुंदर ये चित्र, उन्हें देखनेवालों में भी भाव जागृत करते हैं !
भाग २ : धर्मसंदेश देनेवाले श्रीकृष्ण के चित्र
भगवान श्रीकृष्ण द्वारा साधिका को साधना एवं धर्माचरण संबंधी दिए बोध पर आधारित चित्र, साथ ही उसे कुछ चित्रों के विषय में प्राप्त आध्यात्मिक ज्ञान का समावेश इस ग्रंथ में किया है । आध्यात्मिक मधुरता तथा बालकों की निर्मलता की प्रतीति देनेवाले ये चित्र, साधना में भाववृद्धि हेतु सहायक सिद्ध होेंगे !
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