सुप्रसिद्ध अधिवक्ता उज्ज्वल निकम : मुंबई के कानूनी चौकीदार !
१. लोकसभा चुनाव हेतु उत्तर-मध्य मुंबई से सुप्रसिद्ध अधिवक्ता उज्ज्वल निकम को टिकट !
‘उत्तर-मध्य मुंबई से पहले अभिनेता तथा कांग्रेस नेता सुनील दत्त चुनकर आते थे । उनके उपरांत उनकी पुत्री प्रिया दत्त भी यहां से सांसद रही हैं । वर्ष २०१४ एवं २०१९ में उनकी पराजय होकर भाजपा के दिवंगत नेता प्रमोद महाजन की पुत्री पूनम महाजन की विजय हुई थी । वर्ष २०१४ में पूनम महाजन इस सीट को लडने के लिए इच्छुक नहीं थीं; परंतु राज्य के तथा राज्य के बाहर के प्रमोद महाजन के निकटवर्तियों ने पूनम महाजन को चुनाव लडने के लिए तैयार किया था । उस वर्ष पूनम महाजन कुल मतों की अपेक्षा ५६ प्रतिशत मत लेकर बडी सहजता से चुनाव जीत गई थीं, साथ ही वर्ष २०१९ में भी उन्होंने ५४ प्रतिशत मत लेकर अपनी सीट बचाई थी ।
‘वर्ष २०२४ के लोकसभा चुनाव में भाजपा बहुमत प्राप्त करेगा’, यह उन्हें आत्मविश्वास है । ‘इस चुनाव में भी हमारे बहुमत पर कोई संकट नहीं है’, यह ध्यान में आने के उपरांत भाजपा ने कुछ राजनीतिक प्रयोग किए । इसके अंतर्गत संपूर्ण देश में उन्होंने अपने कुछ प्रत्याशी बदल दिए तथा कुछ स्थानों पर नई पीढी के तथा नए प्रत्याशी मैदान में लाए । मुंबई के बोरीवली में भी उन्होंने गोपाल शेट्टी के स्थान पर केंद्र में मंत्री पीयुष गोयल को चुनाव में उतारा है । इस पूरी पृष्ठभूमि पर वर्ष २०२४ में पूनम महाजन के स्थान पर विख्यात अधिवक्ता उज्ज्वल निकम को उतारा गया है । श्री. निकम मेरे मित्र हैं तथा लगभग २० वर्ष से मैं व्यक्तिगत रूप से उन्हें जानता हूं । उत्तर-मध्य मुंबई में २० मई को मतदान है तथा यहां भाजपा ने उज्ज्वल निकम जैसा प्रत्याशी दिया है ।
२. महाराष्ट्र के राजनीतिक संघर्ष के समय सभी समाचार वाहिनियों पर कानूनी मार्गदर्शन !
आज तक राजनीति में न पडकर तटस्थ रहकर वकालत करनेवाला यह व्यक्ति मेरे विचार में बहुत प्रामाणिक है । महाराष्ट्र में शिवसेना एवं राष्ट्रवादी में विभाजन हुआ । उसके उपरांत चुनाव चिह्न, सर्वाेच्च न्यायालय में प्रविष्ट अभियोगों अथवा विधानसभा अध्यक्ष के सामने की सुनवाई का विषय हो; इन सभी के विषय में तटस्थता से मत प्रकट करनेवाले कानूनी विशेषज्ञ के रूप में अनेक मराठी समाचार वाहिनियों ने उज्ज्वल निकम को बुलाया था । उस समय अपने विचार किसी भी राजनीतिक पक्ष की ओर न झुके, इसका ध्यान रखकर उन्होंने इस संपूर्ण विवाद में अपना कानूनी मतप्रदर्शन किया था ।
३. कानूनी ज्ञान को जनता के लिए समर्पित करनेवाले अधिवक्ता उज्ज्वल निकम !
उससे भी आगे जाकर हमें उज्ज्वल निकम पर विचार करना चाहिए । यह व्यक्ति भाजपा में है अथवा किसी अन्य दल में, यह बात गौण है; परंतु वह कानून का पालन करनेवाला व्यक्ति है । उनकी ओर भारतीय संविधान तथा कानूनी चौखट में अत्यंत पवित्रता से जीनेवाले तथा उसके अनुसार आचरण करनेवाले व्यक्ति के रूप में देखना आवश्यक है । अब वे भाजपा के प्रत्याशी होंगे; परंतु उससे भी अधिक यह व्यक्ति विधान सभा में जाने हेतु चुनाव लड रहा है, इस पर विचार होना चाहिए । यह विचार करते समय उज्ज्वल निकम ने न्यायालयीन क्षेत्र में जो अर्जित किया है तथा उन्होंने जिस प्रकार के अभियोग लडे हैं, उसकी अनदेखी करना उचित नहीं होगा । इस व्यक्ति को ऐसे अभियोग लडने के लिए जो बुद्धि प्राप्त है, उसका अध्ययन करते समय एक बात ध्यान में आती है कि इतनी बुद्धि के बल पर यह व्यक्ति कपिल सिब्बल अथवा अभिषेक मनु सिंघवी जैसे करोडों रुपए का शुल्क लेकर प्रचुर धनवान बन सकता था; परंतु ऐसा होते हुए भी उज्ज्वल निकम ने एक सरकारी अधिवक्ता के रूप में विभिन्न अपराधियों के विरुद्ध निरंतर अभियोग लडे हैं । उनकी ओर भाजपा के प्रत्याशी के रूप में अधिक न देखकर जनहित का भान रखनेवाले अधिवक्ता के रूप में देखा जाना चाहिए ।
इससे पहले भी सरकारी विभाग में सरकारी अधिवक्ता के रूप में अच्छा नाम अथवा अनुभव मिलने के उपरांत एक से बढकर एक कुख्यात अपराधियों की वकालत करनेवाले सैकडों अधिवक्ता हम दिखा सकते हैं; परंतु उज्ज्वल निकम की ओर इसके अपवाद के रूप में देखना पडता है । छोटे-मोटे नहीं, अपितु मुंबई में वर्ष १९९२-९३ में हुए दंगों तथा उसके उपरांत हुए बम विस्फोटों के लंबे अभियोग में जनता की ओर से सरकारी अधिवक्ता के रूप में उन्होंने अभियोग लडे हैं, साथ ही मुंबई पर हुए आक्रमण के संबंध में अजमल कसाब का अभियोग भी उज्ज्वल निकम ने ही लडा था । उसके लिए उन्हें पाकिस्तान सहित अन्य देशों में भी जाना पडा था । इतना सब करने पर क्या हाथ लगा ?, यह प्रश्न पूछा जाए, तो उत्तर नकारात्मक ही मिलेगा । किसी अपराधी को उसके अपराध से बडी सहजता से छुडाया जा सकेगा, उनका कानूनी ज्ञान इतना प्रखर है; परंतु ऐसा होते हुए भी अपनी बुद्धि, कानूनी ज्ञान तथा तर्कशास्त्र जनता को समर्पित करनेवाले एक व्यावसायिक अधिवक्ता के रूप में उज्ज्वल निकम की ओर देखना होगा । भाजपा ने ऐसे एक अधिवक्ता को चुनावी मैदान में उतारा है, ऐसे में उनपर भाजपा के प्रत्याशी के रूप में देखना मेरे विचार से अनुचित लगता है ।
४. लोकसभा चुनाव में उज्ज्वल निकम की विजय निश्चित !
राजनीति में पदार्पण करनेवाले उज्ज्वल निकम के संदर्भ में बोलना हो, तो एक बात कही जा सकती है कि भाजपा ने उन्हें केवल प्रत्याशी बनाने के लिए टिकट नहीं दिया है । उत्तर-मध्य मुंबई भाजपा के लिए अत्यंत सुरक्षित सीट समझी जाती है । मेरे विचार में उज्ज्वल निकम का नाम सुनिश्चित होने से पूर्व ही वहां भाजपा की जीत सुनिश्चित हो गई थी । जिस समय उत्तर-मध्य मुंबई चुनाव क्षेत्र में भाजपा विजय के प्रति आश्वस्त नहीं थी, उस समय वर्ष २०१४ में किसी की बहुत अनुशंसा न होते हुए भी पूनम महाजन को वह सीट दी गई थी । उन्होंने निरंतर २ बार यह सीट जीतते हुए ५६ एवं ५४ प्रतिशत मत अर्जित किए थे । उसके कारण वहां भाजपा का पलडा पहले से ही भारी है । इस चुनाव क्षेत्र में ६ विधायक आते हैं । उसमें भी भाजपा अथवा महा अघाडी का पलडा भारी है । वांद्रे-पश्चिम में भाजपा के आशिष शेलार विधायक हैं । वांद्रे-पूर्व के विधायक जीशान सिद्दीकी भले ही कांग्रेस के हों; परंतु अब उन्होंने कांग्रेस से दूरी बना ली है । इसके साथ ही कुर्ला एवं चांदिवली, इन दो चुनाव क्षेत्रों में एकनाथ शिंदे के दल के दिलीप लांडे विधायक हैं ।
उक्त सूत्र यदि एक ओर रख दिया जाए, तब भी इस चुनाव क्षेत्र में लगभग २८ प्रतिशत मुसलमान मतदाता हैं । वहां कांग्रेस के टिकट की अपेक्षा रखनेवाले आरिफ नसीम खान को टिकट नहीं दिया गया । उन्होंने महा विकास अघाडी सहित कांग्रेस को फटकार लगाते हुए महाराष्ट्र में महा विकास अघाडी ने कुल ४८ में से एक भी मुसलमान प्रत्याशी नहीं दिया; इसके लिए अप्रसन्नता व्यक्त की । तो दूसरी ओर जीशान सिद्दीकी अजित पवार गुट में आए वांद्रे-पश्चिम के पूर्व विधायक बाबा सिद्दीकी के पुत्र हैं । ये दोनों जिस गठबंधन में हैं, उस गठबंधन की ओर से उज्ज्वल निकम को प्रत्याशी बनाया गया है ।
५. मुंबई के आक्रमणकारियों को दंड तक ले जाने हेतु अथक परिश्रम करनेवाले अधिवक्ता उज्ज्वल निकम !
इस पूरी राजनीति में भाजपा ने उज्ज्वल निकम को प्रत्याशी क्यों बनाया ?, इसे हमें समझना होगा । मुंबई पर जितने भी आतंकी आक्रमण हुए, चाहे वह दाऊद के मेमन गिरोह के द्वारा किया गया बम विस्फोट का आक्रमण हो या १० पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा मुंबई पर किया गया आक्रमण, इन अभियोगों में आरोपियों को दंड तक ले जाने के लिए अथक परिश्रम उठानेवाले अधिवक्ता के रूप में उज्ज्वल निकम की पहचान है । उद्धव ठाकरे तथा उनके दल के प्रवक्ता संजय राऊत ‘हमने मुंबई बचाई’, ऐसा जो बोलते हैं; तो मुंबई को कानूनी रूप से आतंकवाद से बचानेवाले तथा अपराधियों को दंड दिलानेवाले अधिवक्ता उज्ज्वल निकम हैं । इसलिए महा विकास अघाडी के लिए निकम की आलोचना करना कठिन होगा । उसी प्रकार से ‘मुंबई को आतंकवाद से बचानेवाले अधिवक्ता’, उज्ज्वल निकम की यह जो पहचान है, उससे महा विकास अघाडी आतंकवाद के प्रभाव में आकर राजनीति करती है, इसकी ओर भी भाजपा ने ध्यान केंद्रित किया है । महत्त्वपूर्ण बात यह है कि मुंबई के मतदाताओं को मुंबई पर किए गए दो भीषण आतंकी आक्रमणों में संलिप्त अपराधियों को दंडित करने तक अथवा पीडितों अथवा घायल मुंबईवासियों को राहत देने का काम करनेवाले अधिवक्ता उज्ज्वल निकम की अभिलाषाओं की पूर्ति करनी चाहिए, यह मेरा प्रामाणिक मत है ।
६. उज्ज्वल निकम को सर्वाधिक मतों से विजयी बनाना मुंबई वासियों का कर्तव्य !
एक मित्र के रूप में मैं उज्ज्वल निकम का तो समर्थन करूंगा ही; परंतु उससे भी आगे जाकर अधिवक्ता निकम केवल भाऊ तोरसेकर के मित्र नहीं हैं, अपितु वे मुंबई में शांतिपूर्ण तथा सुरक्षित जीवन जीने की इच्छा रखनेवाले सभी मुंबईवासियों के अत्यंत निकटतम मित्र तथा चौकीदार के रूप में उज्ज्वल निकम की विजय अपेक्षित है । केवल इतना ही नहीं, अपितु मैं यह भी कहूंगा कि उज्ज्वल निकम सर्वाधिक मतों से लोकसभा चुनाव में चुने जाने चाहिए । यह प्रत्येक मुंबईवासी का कर्तव्य है । इस कर्तव्य का निर्वहन करते समय श्री. निकम पर कौन सी मुहर लगी है तथा वे किस दल से चुनाव लड रहे हैं, यह बात अलग है । उससे भी महत्त्वपूर्ण यह है कि वे मुंबईवासियों के कानूनी चौकीदार हैं । पुलिस अथवा गृह विभाग चाहे कितने भी परिश्रम उठाएं, तब भी उन परिश्रमों का तथा अन्वेषण को सार्थक बनानेवाले अधिवक्ता मुंबई का सबसे निकटतम संबंधी होता है । मुंबईवासियों को केवल इसका भान रखना चाहिए, चाहे वह प्रत्याशी उत्तर-मध्य मुंबई का हो, दक्षिण-मध्य मुंबई का हो, ईशान्य-पूर्व का हो अथवा दक्षिण मुंबई का हो; प्रत्येक मुंबईवासी के लिए लोकसभा चुनाव में उज्ज्वल निकम की विजय महत्त्वपूर्ण तथा श्रद्धा का विषय होना चाहिए ।’
– श्री. भाऊ तोरसेकर, वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक
(साभार : ‘प्रतिपक्ष’ यू ट्यूब वाहिनी)