गर्भगृह का काम १०% भी पूर्ण नहीं, साथ ही काम के स्थान पर पुरातत्व विभाग का एक भी सक्षम अधिकारी उपस्थित नहीं ! – ह.भ.प. रामकृष्ण वीर महाराज
श्री विट्ठल रुक्मिणी मंदिर विकास योजना के अंतर्गत काम को देखने के लिए वारकरी संप्रदाय पाईक संघ शिष्ठमंडल गया
पंढरपुर (महाराष्ट्र) – श्री विट्ठल रुक्मिणी मंदिर विकास योजना के अंतर्गत वर्तमान में जो काम चल रहा है, उस काम को देखने के लिए वारकरी संप्रदाय पाईक संघ का शिष्टमंडल गया । यह देखने पर अनेक गंभीर गलतियां हमें दिखाई दीं । सबसे अधिक महत्वपूर्ण अर्थात जिसके लिए श्री विट्ठल का दर्शन भक्तों के लिए बंद किया, उस मुख्य गर्भगृह का काम अभी तक १०% भी पूर्ण नहीं । जो काम पुरातत्व विभाग के मार्गदर्शन में चल रहा है, ऐसा बताया जाता है, उस विभाग का एक भी सक्षम अधिकारी इस स्थान पर उपस्थित नहीं, ऐसी जानकारी वारकरी संप्रदाय पाईक संघ के ह.भ.प. रामकृष्ण वीर महाराज ने दी ।
इस समय ह.भ.प. देवव्रत (राणा) महाराज वासकर, रघुनाथ महाराज कबीर, नागेश महाराज बागडे, श्याम महाराज उखळीकर, भानुदास महाराज चातुर्मासे, ज्ञानेश्वर महाराज तारे सहित श्री विट्ठल रुक्मिणी मंदिर संरक्षण कृति समिति के सदस्य श्री. गणेश तथा पुरुषोत्तम सुरेश लंके उपस्थित थे ।
वारकरी संप्रदाय पाईक संघ के शिष्टमंडल को ध्यान में आई अन्य गंभीर बातें
१. मंदिर में जिस स्थान पर काम चल रहा है, उस स्थान पर विशेषज्ञ मजदूरों की संख्या अल्प होकर कुल मजदूरों की संख्या भी अल्प है ।
२. गर्भगृह का ग्रेनाइट पत्थर निकालकर मूल स्वरूप देने के लिए श्री विट्ठल के पदस्पर्श दर्शन बंद किए गए थे; लेकिन पिछले ४५ दिनों में केवल ग्रेनाइट ही निकाला है । गर्भगृह के काम को प्रधानता नहीं दी गई है ।
३. मंदिर का सभामंडप, गजेंद्र मंडप, बाजीराव पडसाळी इन सभी स्थानों पर एक ही समय पर पत्थर के फर्श बदलने का काम आरम्भ है । इस कारण कोई भी काम पूर्ण नहीं हो रहा ।
४. सभामंडप के शहाबादी फर्श के नीचे का पुराना पत्थर अधिकांशत: अच्छी स्थिति में होते हुए भी उसे निकालकर नए और तुलना में कमजोर नए पत्थर के फर्श लगाने पर जोर क्यों दिया जा रहा है, यह समझ में नहीं आया । इनमें कुछ खराब हुए पुराने पत्थरों का संवर्धन अथवा उतने ही पत्थर बदलना संभव था ।
५. चल रहे काम पर सुपरविजन इंजीनियर (निरीक्षक अभियंता) कम से कम इस काम में अत्यधिक अनुभवी होने चाहिए थें; लेकिन तुलना में नए एक-दो अभियंता निरीक्षण के लिए उपस्थित थे ।
६. इस संवर्धन में वर्ष १९८५ के उपरांत स्थापित हुई मंदिर समिति ने ही अनेक स्थानों पर अनावश्यक पट- पट्टी निर्माण करने से पुराने निर्माणों का विद्रुपीकरण और वातानुकूलित यंत्र लगाने को जोर देने से स्थान-स्थान पर पुराने पत्थरों पर, ईट-सीमेंट के काम, लोहे की कीलें, स्क्रू इनके कारण हानि हुई है । अनेक पत्थरों में आई दरारें इन कामों के कारण ही होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता । यह काम कुछ वर्ष पूर्व ही होने की बात तुरंत ध्यान में आती है ।
मंदिर समिति ने सभामंडप में बनाए कार्यालय नहीं हटाए !पुराना स्वरूप सामने लाने के लिए चांदी का हुआ काम निकाला है; लेकिन मंदिर समिति द्वारा सभामंडप में लाखों रुपया खर्च कर जो कार्यालय बनाए गए हैं, उन्हें हटाया नहीं गया । वास्तविक मंदिर विकास योजना की संरचना में यह कार्यालय हटाए जाने की बात बताई गई है । |
संपादकीय भूमिका
|