सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
हिन्दू धर्म संसार का एकमात्र ऐसा धर्म है, जिसमें क्रूरता का इतिहास नहीं है !
‘धर्म एक ही है, वह है हिन्दू धर्म । हिन्दू धर्म के अतिरिक्त अन्य धर्मों का (पंथों का) इतिहास देखें, तो उनमें विविध काल में की गई लाखों हत्याएं, क्रूरता, बलात्कार, जीते हुए प्रदेशों के स्त्री-पुरुषों को गुलाम बनाकर बेचने की सहस्रों प्रविष्टियां हैं । हिन्दू धर्म अनादि काल से अस्तित्व में है; परंतु हिन्दू धर्म के इतिहास में ऐसा एक भी उदाहरण नहीं है ।’
व्यवहार एवं अध्यात्म में भेद !
‘व्यवहार में पैसे मिलने पर व्यक्ति अपने पास रखता है; परंतु अध्यात्म में ईश्वर का प्रेम मिलने पर संत वह प्रेम सभी में बांटते हैं !’
कृतघ्नता की उच्चतम सीमा !
‘हम मां का दूध पीते हैं, उसी प्रकार गाय का दूध पीते हैं; इसलिए गाय को गौमाता कहते हैं । ऐसे में गाय की ही हत्या करना, मां की हत्या करने के समान ही है । यह कृतघ्नता की उच्चतम सीमा है !’
धर्मद्रोही बुद्धिवादियों की दोहरी नीति !
‘विज्ञान ने सिगरेट, शराब आदि के दुष्परिणाम सिद्ध किए हैं, तब भी धर्मद्रोही बुद्धिवादी उससे संबंधित अभियान नहीं चलाते । जुआ, मटका आदि के विषय में भी अभियान चलाने के स्थान पर केवल हिन्दू धर्म के विरुद्ध अभियान चलाकर स्वयं को ‘आधुनिक’ कहलवाते हैं, यह ध्यान में रखें !’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले