Anti-Israeli Protesters Harvard University : अमेरिका के प्रसिद्ध ‘हार्वर्ड’ विश्वविद्यालय में फहराया गया फिलिस्तीनी ध्वज !
|
वाशिंगटन (अमेरिका) – अमेरिका के प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में फिलीस्तीन के समर्थन में नियमित आंदोलन चालू है । ‘एसोसिएटेड प्रेस’ के अनुसार अभी तक ९०० विद्यार्थियों को बंदी बनाया गया है । २९ अप्रैल के दिन विश्व स्तर पर सर्वोत्कृष्ट विश्वविद्यालयों में से एक हार्वर्ड विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने सीधे फिलिस्तीन ध्वज फहराया । विश्वविद्यालय में जॉन हॉवर्ड के पुतले के पीछे जहां अमेरिकी ध्वज फहराता है, वहां फिलिस्तीनी ध्वज फहराया गया । इस कारण संबंधित विद्यार्थियों पर कार्यवाही करने की बात विश्वविद्यालय प्रवक्ता ने बताया ।
Anti-Israel Protest in the #Harvard University : Palestinian flag raised in the renowned American University.
🔸900 protesting students arrested so far !
🔸Protesters gave terrorizing slogans like, ‘Kill the Jews’.
👉 Everybody knows who is supporting #Palestine
🔸However,… pic.twitter.com/BgDMKclsXE
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) April 29, 2024
ऐसे हो रहे हैं विरोधी आंदोलन !
१. बोस्टन के ‘नॉर्थईस्टर्न विश्वविद्यालय’ के आंदोलनकर्ताओं की छावनियां उखाडकर १०० से अधिक लोगों को बंदी बनाया गया है । आंदोलन के समय आंदोलनकर्ताओं ने ‘यहूदियों को मार डालें’ ऐसे नारे भी लगाए ।
२. लॉस एंजेलिस के ‘सदर्न कैलिफोर्निया’ विश्वविद्यालय में इसराइल समर्थक और फिलिस्तीन समर्थक आमने-सामने आ गए । उनमें मारपीट हुई । इस समय विश्वविद्यालय में तोडफोड भी की गई ।
३. अनेक अमेरिकी विश्वविद्यालयों में आंदोलनकर्ताओं ने ‘विश्वविद्यालयों को इजराइल की ओर से फायदा पानेवाली कंपनियों से दूर होना चाहिए’, ऐसी मांग की है । ‘पोर्टलैंड स्टेट विश्वविद्यालय’ ने यह मांग स्वीकार की है । विश्वविद्यालय ने ‘बोईंग’ कंपनी की ओर से भेंटवस्तु और अनुदान न स्वीकारने के लिए कहा है । एक ब्योरे के अनुसार इजराइल की अर्थव्यवस्था में बोइंग के २९ सहस्र करोड रूपयों का योगदान है ।
४. अमेरिका के विश्वविद्यालयों में चल रहे आंदोलन की आंच अब कनाडा, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में भी फैली है । २७ अप्रैल को कनाडा के मॅकगिल विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों ने ‘नरसंहार’ बंद करने की मांग के लिए धरना दिया ।
संपादकीय भूमिकाफिलिस्तीन का समर्थन करने वाले कौन हैं , यह जगजाहिर है । ऐसा हुआ, तो भी अमेरिका के यहूदी धर्मवालों के प्रभावी दबाव समूह के आगे आंदोलनकर्ता साम्यवादी और मुसलमान संगठनों का कुछ चलेगा नहीं, यह भी उतना ही सत्य है ! |