SANATAN PRABHAT EXCLUSIVE : भारत में ७९५ मुस्लिम बहुल स्थानों का निर्धारण कर विकास कार्यों के लिए करोडों  रुपये का आवंटन !

कांग्रेस द्वारा आर्थिक रूप से दुर्बलों के लिए नहीं, तो ‘अल्पसंख्यक’ मुसलमानों के तुष्टीकरण के उद्देश्य से प्रारंभ की गई योजना का परिणाम !

मुंबई, २४ अप्रैल (समाचार ) – डॉ. मनमोहन सिंह जब प्रधानमंत्री थे, तब कांग्रेस ने मुसलमानों के विकास के लिए ‘प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम’ के नाम से ‘बहु-क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम’ लागू किया था। इस कार्यक्रम के अंतर्गत भारत के २६ राज्यों के २१३ जिलों और नगरों के ७९५ अल्पसंख्यक-बहुल क्षेत्रों के विकास के लिए करोडों रुपये आवंटित किए गए। इस योजना के माध्यम से धर्मांध मुसलमान-बहुल क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए वार्षिक करोडों  रुपये का वितरण किया जा रहा है। ‘आर्थिक रूप से दुर्बल ‘ या ‘पिछडे’ के मापदंड के आधार पर नहीं, बल्कि केवल ‘अल्पसंख्यक’ के  लिए १५ वर्ष पूर्व  कांग्रेस द्वारा प्रारंभ की गई योजना अभी भी चल रही है और प्रति वर्ष मुसलमान बहुल निकायों की संख्या बढ रही है। तुष्टीकरण एवं भेदभाव दिखाने वाली यह जानकारी महाराष्ट्र सरकार के अल्पसंख्यक विभाग द्वारा अल्पसंख्यकों के लिए योजनाओं पर प्रकाशित एक पुस्तक से उजागर हुई है।

अधिकांश लाभार्थी मुसलमान हैं!

वास्तव में इस योजना का नाम ‘मल्टी-सेक्टोरल डेवलपमेंट प्रोग्राम’ है, किन्तु तथ्यत: इस योजना की आड में कांग्रेस ने मुसलमान बहुल इलाकों का विकास करने के लिए इस योजना का प्रारंभ किया था । इस योजना के अंतर्गत नगर पालिका, नगर निगम या नगर पंचायत के अल्पसंख्यक-बहुल क्षेत्रों में धन आवंटित किया जाता है, जहां अल्पसंख्यकों (मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, जैन, सिख, पारसी और यहूदी) की जनसंख्या, कुल जनसंख्या के १० प्रतिशत से अधिक है। । इस योजना में ‘अल्पसंख्यक क्षेत्रों के विकास’ का उल्लेख है और इस योजना के अधिकांश लाभार्थी मुसलमान हैं। इस योजना के माध्यम से अल्पसंख्यक क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था, सौर प्रकाश योजना, अल्पसंख्यक छात्रों के लिए छात्रावास का निर्माण, स्वास्थ्य केंद्र-आंगनबाडियों का निर्माण, शौचालयों का निर्माण, विद्युतीकरण आदि के लिए धनराशि उपलब्ध कराई गई है।

देशभर के ७१० अल्पसंख्यक बहुल नगरों में विकास कार्य !

अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों के विकास के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने वर्ष २००८-०९ में यह योजना प्रारंभ की थी और इसके लिए ३ सहस्त्र  ७८० करोड रुपये की धनराशि उपलब्ध कराई थी। प्रारंभ में यह योजना देश के ९० अल्पसंख्यक बहुल जिलों में प्रारंभ की गई थी । इसके उपरांत १२ वीं पंचवर्षीय योजना (वर्ष २०१२-१७ ) के अंतर्गत  इस योजना के लिए ५,७७५ करोड रुपये का निधि दिया गया। इससे २६ राज्यों के १९६ जिलों के ७१० अल्पसंख्यक बहुल नगरों की पहचान की गई और वहां बुनियादी ढांचे के विकास के कार्य किए गए।

महाराष्ट्र के २४ जिलों के ३४ नगर सामाहित !

यह योजना महाराष्ट्र के २४ जिलों में लागू की गई है। इनमें ३४ नगर और २८ निवासी क्षेत्र  सम्मिलित हैं। महाराष्ट्र में, अकोला, बुलढाणा और अमरावती जिलों में मुसलमान बहुल क्षेत्रों के विकास के लिए अधिक धन वितरित किया गया है।

नागरी निवासी क्षेत्रों के नाम पर ‘ईदगाह’ के लिए निधि का आवंटन !

यद्यपि यह योजना अल्पसंख्यक बहुल नागरी क्षेत्रों के विकास के नाम पर प्रारंभ की गई है, किन्तु  मुसलमानों के धार्मिक स्थलों ‘ईदगाहों’ के विकास के लिए भी धन उपलब्ध कराया गया है। इसके साथ ही मुसलमानों के लिए सामाजिक कक्ष और सामाजिक क्षेत्रों के लिए भी धन उपलब्ध कराया गया है।

संपादकीय भूमिका 

  • केवल अल्पसंख्यक निवासी क्षेत्रों का विकास किस लिए ? क्या बहुसंख्यक हिन्दू,  इस देश के नागरिक नहीं हैं ? ऐसे अनेक प्रकरणों में कांग्रेस ने मुसलमानों को धर्म के आधार पर धन और सुविधाएं देकर हिन्दुओं के साथ बहुत घोर अन्याय किया है। आगामी चुनाव में यदि हिन्दू कांग्रेस का राजनीतिक अस्तित्व ही समाप्त कर दें तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा !
  • इससे विदित होता है कि बहुसंख्यक हिन्दुओं के कर से प्राप्त अधिकांश धन अल्पसंख्यकों को सुविधाएं प्रदान करने पर व्यय होता है। यह धन व सुविधाएं प्राप्त करने वाले अधिकांश अल्पसंख्यक धर्मांध कट्टरपंथी मुसलमान  विभिन्न प्रकार के जिहाद और राष्ट्र-विरोधी कृत्यों में  लिप्त हैं । इसलिए केंद्र सरकार को कांग्रेस द्वारा मुसलमानों के लिए ‘अल्पसंख्यक’ के आधार पर प्रारंभ की गई योजनाओं को त्वरित बंद कर देना चाहिए !