धर्मकार्य की लगन तथा हिन्दू जनजागृति समिति एवं सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के कार्य के प्रति अपार आदर रखनेवाले देहली के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन !
‘६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन प्रतिवर्ष गोवा में होनेवाले ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ तथा उत्तर भारत में होनेवाले ‘उत्तर भारत हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ में उपस्थित रहते हैं । अधिवेशन अथवा अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में वे भगवान श्रीकृष्ण तथा सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी को प्रणाम कर ही अपना भाषण आरंभ करते हैं । नवंबर २०२३ में बैंकॉक, थाइलैंड में विश्व स्तरीय ३ दिवसीय ‘वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस’ संपन्न हुई । उसमें ६० देशों के २ सहस्र प्रतिनिधि उपस्थित थे । इस कार्यक्रम में अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन एक मान्यवर आमंत्रित वक्ता के रूप में उपस्थित थे । उस समय मुझे प्रतीत हुई उनकी गुणविशेषताएं यहां दी हैं ।
१. शुद्ध भाव तथा धर्मकार्य की लगन के कारण उनका भाषण क्षात्रभाव से युक्त होना
‘वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस’ के कार्यक्रम के एक सत्र में ‘सरकारी तंत्र तथा अतिक्रमणों से हिन्दू मंदिरों की मुक्ति’ विषय पर अधिवक्ता विष्णु जैन का भाषण होनेवाला था । यहां भी उन्होंने उनकी पद्धति से ‘धर्मसंस्थापक भगवान श्रीकृष्ण एवं परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी’ को प्रणाम कर अपना भाषण आरंभ किया । इससे गुरुदेवजी के प्रति उनका भाव दिखाई दिया । धर्मकार्य की लगन एवं शुद्ध भाव के कारण उनका भाषण क्षात्रभावयुक्त रहा । उनका आध्यात्मिक स्तर अच्छा होने से उनकी वाणी में चैतन्य अनुभव होकर मुझे ऐसा लगा कि ‘उनका भाषण सुनते ही रहें ।’ मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि अन्य वक्ताओं की तुलना में उनका भाषण प्रभावी तथा अहंरहित हुआ ।
२. चलित भ्रमणभाष से श्री. श्रीराम लुकतुके के संपर्क में बने रहकर मिलने की उत्सुकता दर्शाना
हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, मैं एवं श्री. श्रीराम लुकतुके ‘वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस’ के कार्यक्रम हेतु गए थे । अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के मन में सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी के प्रति बहुत भाव है । बैंकॉक में वे चल-दूरभाष से श्री. श्रीराम लुकतुके के संपर्क में थे । हमारे बैंकॉक पहुंचने पर वे हमसे मिलने हेतु उत्सुक थे ।
३. सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी एवं सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी के प्रति उनका भाव !
कार्यक्रम के पहले दिन अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन मुख्य सभागार में मान्यवरों की पहली पंक्ति में बैठे थे । हमें (सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे तथा मुझे) देखने पर वे हमारे पास आए । उन्होंने झुककर हम दोनों के चरण स्पर्श कर भावपूर्ण नमस्कार किया । उस समय सभागार में लगभग २ सहस्र मान्यवर बैठे हुए थे; परंतु तब भी अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने हमारे चरणस्पर्श कर नमस्कार करते समय उनकी प्रतिष्ठा आडे नहीं आई । इससे उनमें विद्यमान उत्तम साधकत्व, विनम्रता, ये दैवीय भाव दिखाई दिए ।
४. ‘वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस’ के कार्यक्रम में आए मान्यवरों को गोवा में आयोजित किए जानेवाले वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में सम्मिलित होने का आग्रह करना
कार्यक्रम के उपरांत अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने हमसे मिलकर कहा, ‘‘हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आप यहां आकर इस ‘वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस’ में सम्मिलित हुए, यह बहुत महत्त्वपूर्ण तथा आवश्यक भी है ।’’ वे वहां आए कुछ मान्यवरों को गोवा में हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित किए जानेवाले वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव का (अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन का) महत्त्व विशद कर उसमें सम्मिलित होने हेतु आग्रह कर रहे थे । वे उन्हें ‘इस अधिवेशन का नियोजन कितनी सूक्ष्मता से किया जाता है’, इसके विषय में बता रहे थे । इससे हिन्दू जनजागृति समिति के कार्य के प्रति उनका आदर दिखाई दिया ।’
– (सद्गुरु) नीलेश सिंगबाळजी, हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक, वाराणसी, उत्तर प्रदेश. (३०.१२.२०२३)