पारंपरिक वाद्य ले जानेवाले भक्तों को मंदिर के महाद्वार पर ही रोक दिया जाता है !
तुलजापुर (महाराष्ट्र) – यहां श्री तुलजाभवानी मंदिर में हलगी के साथ अन्य पारंपरिक वाद्य ले जाने के लिए सुरक्षारक्षकों ने अचानक मना कर दिया है । इस संदर्भ में मंदिर समिति द्वारा वाद्य प्रतिबंध का कोई आदेश नहीं दिया है । ऐसा होते हुए भी सुरक्षारक्षक ‘वरिष्ठों का आदेश है’, ऐसा कह रहे हैं । इस संदर्भ में सुरक्षारक्षक मनमानी कारोबार कर रहे है । इसलिए भक्तगण ने अप्रसन्नता व्यक्त की है ।
Traditional musicians were denied entry into Shree Tuljabhavani temple premises by the guards !
The perils of government control of temples !@SG_HJS @ReclaimTemples #HindusUnderAttack #Hindus #temple pic.twitter.com/ytq1p3VLuV
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) April 18, 2024
१. तुळजाभवानी मंदिर में भिन्न भिन्न कुलधर्म, कुलाचार पूजा करने की परंपरा है । इसमें चोली-नारियल से गोद भराई करना, अभिषेक पूजा, जागरण, गोंधल (लौकिक परंपरा), (छोटे बच्चों के) बाल उतारना, कुमकुमार्चन, फूलों की माला अर्पण करना जैसे अनेक विधि किए जाते हैं । श्री तुळजाभवानीमाता का गोंधल करने की प्राचीन परंपरा है ।
२. ये सभी प्रथा-परंपराओं का पालन करते समय पारंपरिक वाद्य बजाए जाते हैं । विधि के लिए भक्त धूमधाम से देवी के मंदिर में आते हैं । प्रतिबंधित करने से यह परंपरा बंद हो जाने का भय है ।
३. मंदिर समिति के सुरक्षारक्षकों के अचानक पारंपरिक वाद्यों का प्रवेश अस्वीकार कर देने से प्रथा बंद हो जाने का भय है ।
४. ये सुरक्षारक्षक महाद्वार पर ही भक्तों को रोक रहे हैं । भक्त मांग कर रहे है कि इस संदर्भ में मंदिर के अध्यक्ष एवं जिलाधिकारी को ध्यान देना चाहिए ।
संपादकीय भूमिकामंदिर सरकारीकरण के दुष्परिणाम ! |