वक्फ बोर्ड – भारत की भूमि हडपनेवाला बोर्ड !
किसी भी देश में मुसलमान जब अल्पसंख्यक होते हैं, तब वे सदैव ‘हम इस देश में असुरक्षित हैं’, ऐसा अत्यंत झूठा आक्रोश करते रहते हैं । इन मुसलमानों को चाहे कितना भी पैसा, प्रतिष्ठा तथा पद दिए गए, तब भी असुरक्षितता का उनका आक्रोश कभी रुकता नहीं है । प्रचुर मात्रा में पैसा, प्रतिष्ठा तथा प्रसिद्धि मिलकर भी फिल्म जगत के ‘खान’ उपनामवाले अभिनेताओं को तथा उनकी हिन्दू पत्नियों को भारत ‘असुरक्षित’ लगने लगता है ! मूलतः किसी भी भूभाग में मुसलमान अल्पसंख्यक हो, तब वह कभी भी असुरक्षित नहीं होता । इसके विपरीत, उसकी जिहादी वृत्ति एवं कृति के कारण अन्य धर्मी बहुसंख्यक समाज ही असुरक्षित होता है । वर्तमान समय में जिहादी वृत्ति के मुसलमानों के कारण संपूर्ण मानवजाति असुरक्षित बन गई है । इस जिहादी मुसलमानों के कारण तीसरा विश्वयुद्ध भडकने की तथा उसमें संपूर्ण मानवजाति के भस्मसात होने की बहुत संभावना बन गई है ।
१. १० वर्ष भारत का उपराष्ट्रपतिपद भोगकर भी हिन्दूद्वेषी विषवमन करनेवाले हमीद अंसारी !
हमीद अंसारी ने १० वर्ष मनमानी पद्धति से भारत के उपराष्ट्रपतिपद का उपभोग किया तथा अनेक देशद्रोही गतिविधियां चलाईं; परंतु जब हिन्दुत्वनिष्ठ विचारों के श्री. नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने, अनेक राज्यों में हिन्दुत्वनिष्ठ विचारों की सरकारें सत्ता में आईं; इतने दिनों तक दबा रहा हिन्दू समाज जागृत होकर उसके साथ हो रहे अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने लगा, तब इस हमीद अंसारी के पेट में जो विष था, वह उनके होठों पर आकर उन्होंने विषवमन किया । उन्होंने कहा, ‘‘यह भारत देश अब मुसलमानों के लिए रहनेयोग्य नहीं बचा है ।’’ पद पर बने रहने तक उस पद के सभी लाभ एवं सुविधाएं लेना; परंतु पद के जाते ही देश के विरुद्ध विषवमन करने को ‘नमक हरामी’ नहीं, तो और क्या कहा जाए ?
२. अल्पसंख्यक जिहादी जब बहुसंख्यक बन जाते हैं, तब वे अलग भूभाग की मांग करते हैं !
जिहादी मुसलमानों की एक और विशेषता यह होती है कि यह समुदाय कभी भी तथा किसी भी देश में संतुष्ट नहीं होता । उन्हें रक्तपात एवं विध्वंस किए बिना चैन नहीं आता । जब ये जिहादी वृत्ति के मुसलमान अल्पसंख्यक होते हैं, तब वे सामान्य कारण से भी दंगें कराते हैं, आगजनी कर अन्य धर्मियों के प्राणों को तथा संपत्ति को हानि पहुंचाते हैं । जब ये लोग बहुसंख्यक बन जाते हैं, तब वे अपने धर्मियों के लिए अलग भूभाग की मांग करते हैं तथा देश के टुकडे करते हैं ।
३. वर्ष १९४७ में पाकिस्तान की मांग की जाना तथा विस्थापन में हिन्दुओं पर अमानवीय अत्याचार होना !
वर्ष १९४७ में भारत के संदर्भ में भी ऐसा ही हुआ । जब सिंध, पूर्वी पंजाब एवं पूर्वी बंगाल में मुसलमानों की संख्या हिन्दुओं से अधिक हुई, तब उन्होंने पाकिस्तान की मांग की । इसके लिए जिहादी मुसलमानों ने अभूतपूर्व हिंसा तथा हिन्दुओं का नरसंहार किया । उन्होंने लाखों हिन्दू स्त्री-पुरुषों एवं बच्चों की अमानवीय हत्याएं कीं । इसमें लगभग १० लाख हिन्दू विस्थापित हुए । सहस्रों हिन्दू स्त्रियां एवं लडकियां जिहादी मुसलमानों के अमानुषिक बलात्कार का शिकार हुईं । विभाजन की कहानियां सुनना, देखना तथा पढना भी असहनीय लगे; इतनी वो उन अमानुषिक कृत्यों से रंगी हैं ।
४. पाकिस्तान गए मुसलमानों की संपत्ति मुसलमानों को ही मिले; इसके लिए ‘वक्फ बोर्ड’ की स्थापना !
भारत के इस अप्राकृतिक विभाजन के समय लाखों हिन्दुओं ने पाकिस्तान से भारत आकर शरण ली, जबकि भारत के लाखों मुसलमान ‘हमारा देश’ कहकर पाकिस्तान चले गए । पाकिस्तान से जो हिन्दू भारत आए, उनकी पाकिस्तान में स्थित भूमि एवं घरों को वहां की सरकार ने भारत से पाकिस्तान गए मुसलमानों को सौंपा; परंतु भारत के हिन्दूद्वेषी नेताओं ने भारत से पाकिस्तान गए मुसलमानों की भूमि तथा घरों को पाकिस्तान से विस्थापित हिन्दुओं को नहीं सौंपा । उस समय मुसलमानों की इस भूमि तथा घरों का क्या किया जाए ?, यह प्रश्न उठा । उस समय भारत में सत्तारूढ हिन्दूद्वेषी नेताओं ने एक चतुराई दिखाई । उन्होंने भारत में स्थित मुसलमानों की भूमि तथा घर, भारत में रहनेवाले मुसलमानों को ही मिले; इसके लिए ‘वक्फ बोर्ड’ की स्थापना कर भारत के मुसलमानों की संपूर्ण संपत्ति वक्फ बोर्ड को सौंपी ।
५. हिन्दूद्वेषी नेताओं के द्वारा मुसलमानों के हितों के निर्णय !
मुसलमानों की संपत्ति का निपटारा कैसे करें ?, इसके संपूर्ण अधिकार वक्फ बोर्ड को दिए गए । वास्तव में देखा जाए, तो मुसलमानों ने भारत में जो संपत्ति छोडी थी, उसका वितरण एक तो विस्थापित हिन्दुओं में किया जा सकता था अथवा उसे शत्रु संपत्ति मानकर उसे सरकार को सौंपा जा सकता था; परंतु भारत के हिन्दूद्वेषी नेताओं ने हिन्दुओं के हित का निर्णय न लेकर मुसलमानों का हित ध्यान में लेकर किया । यह निर्णय लेते समय ये हिन्दूद्वेषी नेता विभाजन के कारण हिन्दू समाज के शरीर एवं मन पर जो ताजा घाव बने थे, उन्हें अल्पावधि में ही भूल गए ।
६. हिन्दुओं ने इस कानून के विषय में जानकारी पढी, तो वे चकराए बिना नहीं रहेंगे !
वक्फ बोर्ड कानून को चुनौती देनेवाली १२० जनहित याचिकाएं देहली उच्च न्यायालय में प्रविष्ट हुई हैं । विख्यात हिन्दुत्वनिष्ठ अधिवक्ता (श्री.) अश्विनी उपाध्याय ने भी इस संदर्भ में एक जनहित याचिका प्रविष्ट की है । देहली उच्च न्यायालय ने उस पर केंद्र सरकार को अपना उत्तर प्रस्तुत करने के लिए कहा है । ७ अक्टूबर २०२३ को इस जनहित याचिका पर अंतिम सुनवाई होनी थी; परंतु वह सुनवाई हुई अथवा नहीं ?, यह अभी तक समझ में नहीं आया है । अधिवक्ता (श्री.) अश्विनी उपाध्याय ने जब एक वीडियो में इस वक्फ बोर्ड कानून की जानकारी बताई, उसे सुनकर मैं तो चकरा गया । हिन्दू समाज जब इस अमानुषिक कानून की जानकारी पढेगा, तब वह भी बिना चकराए नहीं रहेगा तथा हिन्दूद्वेषी नेताओं ने हिन्दुओं के विनाश के लिए तथा इस देश को ‘मुसलमान देश’ बनाने का कैसे षड्यंत्र रचा है, इस सत्य की उन्हें प्रतीति होगी ।
७. वक्फ बोर्ड को असीमित एवं निरंकुश अधिकार !
इस कानून के द्वारा हिन्दूद्वेषी नेताओं ने वक्फ बोर्ड को इतने असीमित एवं निरंकुश अधिकार प्रदान किए हैं कि यह वक्फ बोर्ड भारत की किसी भी खाली भूमि पर, हिन्दुओं के घरों-दुकानों पर तथा जिस भूमि पर हिन्दुओं के मंदिर एवं धार्मिक स्थल हैं; उस भूमि पर अपना अधिकार जताकर उसे अपने नियंत्रण में कर सकता है । इसमें विशेष बात यह कि वक्फ बोर्ड ने हिन्दुओं की किसी भूमि पर वक्फ बोर्ड का अधिकार होने का दावा किया, तो ‘वह भूमि वक्फ बोर्ड की नहीं, अपितु मेरी है’, इसे प्रमाणित करने का संपूर्ण दायित्व उस हिन्दू का होता है !
८. वक्फ द्वारा हडपी गई भूमि के विषय में हिन्दू किसी भी न्यायालय में नहीं जा सकते !
इस कानून में एक ऐसा भी प्रावधान किया गया है कि हिन्दुओं को यदि वक्फ बोर्ड द्वारा उनकी भूमि पर जताया गया अधिकार स्वीकार न करना हो, तो वे वक्फ बोर्ड के विरुद्ध भारत के किसी भी न्यायालय में अभियोग प्रविष्ट नहीं कर सकते । उन्हें इस अन्याय के विरुद्ध न्याय मांगने हेतु वक्फ बोर्ड की समिति के सामने प्रमाण के कागदपत्र लेकर जाना पडता है ।
वक्फ बोर्ड के इस कानून में स्थित प्रावधान के अनुसार वक्फ बोर्ड राष्ट्रपति भवन अथवा उस भवन में स्थित अमृत वाटिका पर भी अपना अधिकार जता सकता है । बंदर के हाथ में मशाल देने के पश्चात वह जिस प्रकार सर्वत्र आगजनी करने लगता है, उस प्रकार वक्फ बोर्ड को हिन्दुओं की भूमि लूटने के जो असीमित अधिकार प्रदान किए गए हैं, उस अधिकार के अनुसार वक्फ बोर्ड भारत की भूमि हडपता चला जा रहा है ।
९. ‘एंटिलिया’ पर भी अपना अधिकार जतानेवाला वक्फ बोर्ड !
केवल भारत के ही नहीं, अपितु विश्व के एक धनवान उद्योगपति श्री. मुकेश अंबानी ने मुंबई में ‘एंटिलिया’ नामक ७ मंजिला आवास बनाया है । यह आवास अत्यंत वैभवशाली तथा सभी प्रकार की आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है । यह इमारत किसी भी शक्तिशाली भूकंप अथवा बमविस्फोट से ध्वस्त नहीं होगी, इतनी मजबूत है; परंतु करोडों रूपए के मूल्यवाली यह इमारत जिस भूमि पर खडी है, उस भूमि पर वक्फ बोर्ड ने अपना अधिकार जताया है !
१०. ‘आप’ के नेता केजरीवाल का वक्फ बोर्ड को समर्थन तथा ‘एंटिलिया’ को ध्वस्त करने का उनका स्वप्न !
विशेष बात यह कि देहली के हिन्दूद्वेषी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वक्फ बोर्ड द्वारा ‘एंटिलिया’ की भूमि की जो मांग की गई है, उसे अपना समर्थन घोषित किया है । केवल इतना ही नहीं, अपितु अपने बडबोलेपन तथा देशविरोधी वक्तव्यों के लिए कुख्यात केजरीवाल ने मुसलमानों की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘यदि महाराष्ट्र में हमारी सरकार बनती है, तो मैं मुकेश अंबानी के आवास ‘एंटिलिया’ को बुलडोजर चलाकर ध्वस्त करूंगा !’ वर्तमान समय में देश में इन ‘जयचंदों’ की बडी मात्रा में फसल आई है ।
११. प्राचीन मंदिरों की भूमि हडपनेवाले बकासुर से भी बडा वक्फ बोर्ड !
वक्फ बोर्ड को दिए गए असीमित अधिकारों के कारण इस बोर्ड की स्थिति, हम भारत की और कितनी भूमि हडप लें ?, ऐसी बन गई है । अगस्त २००३ की तमिलनाडु राज्य की यह घटना हैै । तमिलनाडु के अनंगकौंडणपुथुर गांव का एक हिन्दू अपनी भूमि बेचना चाहता था; परंतु तमिलनाडु के वक्फ बोर्ड ने इस पर आपत्ति जताकर घोषित किया कि ‘उस गांव की संपूर्ण भूमि वक्फ बोर्ड की संपत्ति है ।’ । विशेष बात यह कि उस गांव में १४०० वर्ष पूर्व निर्मित एक प्राचीन मंदिर है । वक्फ बोर्ड ने उस मंदिर की भूमि पर भी अपना अधिकार जताया है । मुसलमान पंथ की स्थापना होकर अब कहीं १४०० वर्ष पूर्ण हो रहे हैं, तो वक्फ बोर्ड उस मंदिर की भूमि पर अपना अधिकार कैसे जता सकता है ?; परंतु भूमि हडपने का जो भूत इस वक्फ बोर्ड पर सवार है, उसके कारण उसे इस विसंगति का भान नहीं है ।
१२. भारत को ही इस्लाममय बनाना है; इसलिए भूमि हडपने का प्रयास !
वर्ष १९४७ में मुसलमानों ने धार्मिक आधार पर भारत का विभाजन कर २ इस्लामी राष्ट्रों की निर्मिति की; परंतु इतने पर भी यह समाज संतुष्ट नहीं है । उन्हें एक तो संपूर्ण भारत को इस्लाममय बनाना है अथवा जनसंख्या के बल पर पुनः एक बार भारत का विभाजन कर कुछ और इस्लामी राष्ट्रों की निर्मिति करनी है । उसके लिए मुसलमान समाज की ओर से भारत की जितनी भूमि हडपना संभव है, उतनी भूमि हडपने का कार्य चल रहा है ।
(क्रमशः)
– श्री. शंकर गो. पांडे, पुसद, यवतमाळ, महाराष्ट्र.