छत्रपति संभाजी महाराज की, की गई नृशंस प्रताडना का ऐतिहासिक दस्तावेज ‘अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय’ के ग्रंथालय में मिला !

छत्रपति संभाजी महाराज

पुणे (महाराष्ट्र) – भारत इतिहास संशोधक मंडल में हाल ही में पाक्षिक सभा संपन्न हुई , जिसमें औरंगज़ेब के दरबार के अधिकृत कागजातों में से ‘जवाबित-ए-आलमगिरी’ इस अप्रकाशित लेख में औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी महाराज के साथ किए निर्घृण और नृशंस प्रताडना और हत्या का अप्रकाशित साक्ष्य प्रस्तुत किया गया । उपर्युक्त दस्तावेज प्रसिद्ध फारसी विशेषज्ञ राजेंद्र जोशी को ‘अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय’ के ग्रंथालय में मिला , जिसे उन्होंने मंडल के विद्यार्थियों को सुपुर्द किया । इस दस्तावेज पर संशोधन मंडल के फारसी भाषा के अध्ययनकर्ता सत्येन वेलणकर, पराग पिंपळखरे, रोहित सहस्त्रबुद्धे, मनोज दाणी, गुरुप्रसाद कानिटकर आदि ने किया , जिसे प्रतिनिधि रूप में पराग पिंपळखरे ने सभा में रखा । इस संबंध में श्रोताओं द्वारा पूछे गए सभी प्रश्नों का उनके साथ गुरुप्रसाद कानिटकर और सत्येन वेलणकर ने उत्तर दिए । इसके लिए फारसी विशेषज्ञ राजेंद्र जोशी ने स्वयं के विद्यार्थियों का अभिनंदन और प्रशंसा की ।

छत्रपति संभाजी महाराज ने हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए बलिदान दिया, यह पुनः सामने आया है ! – इतिहास विशेषज्ञ पांडुरंग बलकवडे

इतिहास विशेषज्ञ पांडुरंग बलकवडे

मंडल के सचिव और इतिहास विशेषज्ञ पांडुरंग बलकवडे ने कहा कि इतिहास के संशोधन में विरोधी पक्ष के साक्ष्य को भी उतना ही महत्व होता है । यह साक्ष्य प्रत्यक्ष रूप से औरंगजेब के दरबार के सरकारी कामकाज के कागजपत्रों के होने से इसकी सत्यता के विषय में संदेह नहीं कर सकते । छत्रपति संभाजी महाराज ने औरंगजेब द्वारा दिखाए गए किसी भी प्रलोभन में न आकर उससे अविरत संघर्ष किया, साथ ही स्वराज के और हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए बलिदान दिया, यह पुनः सामने आया है । बलकवडे ने भी मंडल के सभी अध्ययनकर्ताओं की प्रशंसा की । यह दस्तावेज पूर्णरूप से उपलब्ध कर पुस्तक के रूप में प्रकाशित करेंगे, ऐसा आश्वासन उन्होंने उपस्थित लोगों को दिया ।