सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश ‘मदरसा मंडल एक्ट’ को निरस्त करने के उच्च न्यायालय के निर्णय पर रोक लगा दी है
लक्ष्मणपुरी (उत्तर प्रदेश) – सर्वोच्च न्यायालय ने ‘उत्तर प्रदेश बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट २०२४’ को असंवैधानिक घोषित करने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के निर्णय पर रोक लगा दी है, साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार से इस संबंध में उत्तर मांगा है । २२ मार्च २०२४ को उच्च न्यायालय ने इस मंडल को असंवैधानिक घोषित कर दिया था, साथ ही राज्य के मदरसों में शिक्षा ले रहे १.७ लाख छात्रों को सामान्य विद्यालयों में समाविष्ट करने को कहा था । इस निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में आवाहन दिया गया । सर्वोच्च न्यायालय ने स्थगिति देते हुए कहा कि उच्च न्यायालय के निर्णय का परिणाम १.७ लाख छात्रों पर पडेगा और छात्रों को अन्य विद्यालयों में स्थानांतरित करने का निर्देश देना उचित नहीं है ।
(सौजन्य : TIMES NOW Navbharat)
उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड एक्ट क्या है ?
‘उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड शिक्षा कानून २००४’ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पारित एक कानून था । यह कानून राज्य में मदरसों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए बनाया गया था। इसका उद्देश्य छात्रों को व्यवसाय के उत्तम अवसर प्रदान करना भी है । इस कानून के अनुसार न्यूनतम मानकों को पूरा करने पर ही मदरसों को बोर्ड द्वारा मान्यता दी जाएगी । कानून के विरोधियों का मत है कि यह मदरसों को धर्मनिरपेक्ष शिक्षा प्रदान करने से रोकता है ।
८ हजार ४४१ मदरसों को मान्यता नहीं !
मदरसों का सर्वेक्षण १० सितंबर २०२२ से १५ नवंबर २०२२ तक किया गया। तदोपरांत सर्वेक्षण की समय सीमा ३० नवंबर तक बढा दी गई । इस सर्वेक्षण में राज्य में लगभग ८ सहस्त्र ४४१ मदरसे अमान्यता प्राप्त पाए गए । सरकार के अनुसार राज्य में वर्तमान में १५,६१३ मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। अक्टूबर २०२३ में सरकार ने मदरसों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया था । यह विशेष जांच दल मदरसों को दिए गए विदेशी धन की भी जांच कर रहा है ।