देहू (पुणे) में लाखों भक्तों की उपस्थिति में तुकाराम बीज समारोह संपन्न !
(संत तुकाराम महाराज जिस दिन सदेह वैकुंठ गए, उस दिन को ‘तुकाराम बिज’ कहा जाता है)
देहु (पुणे) – देहुनगरी में वारकरी संप्रदाय द्वारा भावपूर्ण अभंग का गायन एवं ज्ञानोबा माउली-तुकाराम के जय घोषों से गूंज उठी नगरी । ‘तुकाराम बीज’ समारोह भक्तिपूर्ण वातावरण में भजनी शोभा रथों के साथ भक्तों ने, काकड़ आरती, महापूजा, हरिपाठ एवं झांझ, वीणा, खंजनी और मृदंग की संगत के साथ अहोरात्र जागरण किया । संत तुकाराम महाराज के ३७६ वें बीजोत्सव में लाखों वारकरी देहू पहुंचे। मुख्य देवस्थान में प्रात: ३ बजे काकड आरती हुई। प्रात: ४ बजे संत तुकाराम महाराज शिला मंदिर में संस्थान के ट्रस्टी, अध्यक्ष मंडल, वंशज, वारकरी द्वारा महापूजा की गई पूजा की गई । वैकुंठगमन स्थान स्थित संत तुकाराम महाराज मंदिर में प्रात: ६ बजे महापूजा हुई । प्रात: १० बजे पालकी ने बैकुंठ स्थान मंदिर की ओर प्रस्थान किया ।
उसके उपरांत, वैकुंठगमन समारोहों में, हरि भक्त परायण देहुकर महाराज द्वारा कीर्तन किया गया । मध्यान्ह १२ बजे तक तुकोबाराय के नाम और विट्ठल के नाम का नाम संकीर्तन किया गया। वारकरियों ने नान्दुरकी वृक्ष पर पुष्प वर्षा करके तथा भक्तिपूर्वक नमस्कार करके इन्द्राणी नदी में अपनी अनन्य भक्ति को प्रस्तुत किया । मध्यान्ह १२.३० बजे पालकी वैकुंठस्थान से मुख्य देवस्थान में पहुंची। भीषण गर्मी के कारण जगह-जगह श्रद्धालुओं को पीने का पानी उपलब्ध कराया गया है और इंद्रायणी नदी में ´वडिवले बांध´ से पानी छोडा गया । अनेक स्थानों पर पानी के टैंकर भी खडे किये गये हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ४ बाह्य रोगी विभाग, ४ रुग्णवाहिकाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं।
पुणे महानगर परिवहन महामंडल लिमिटेड (पीएमपीएमएल) ने छोडीं १२५ अतिरिक्त बसें!
‘पुणे महानगर परिवहन निगम’ अर्थात ‘पीएमपीएमएल’ द्वारा स्वारगेट, महापालिका भवन, आलंदी, पुणे शन, निगडी, हडपसर से देहू के लिए अधिक बसों की व्यवस्था की गई थी। देहू के लिए प्रतिदिन २५ बसें छोडीं जाती हैं किन्तु तुकाराम बीज उत्सव के अवसर पर १२५ बसों की योजना बनाई गई ।
देहु में मंदिर पर फूलों की आकर्षक सजावट !
मुख्य देवस्थान को बिजली के दियों से आकर्षक ढंग से अलंकृत किया गया , साथ ही श्री विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर, संत तुकाराम महाराज शिला मंदिर एवं राम मंदिर को भी फूलों से आकर्षक ढंग से सजाया गया और नांदुरकी पेड को भी विशेष फूलों से सजाया गया है।