(और इनकी सुनिए…) त्यागपत्र दिए बिना ही कारागृह से चलाऊंगा सरकार ! – देहली के मुख्यमंत्री केजरीवाल
नई देहली – १०० करोड रुपयों के देहली मद्य घोटाले के मुख्य सूत्रधार, ऐसा आरोप लगाकर देहली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने (ईडी ने) २१ मार्च को सायंकाल में बंदी बनाया । ईडी के न्यायालय ने २८ मार्च तक केजरीवाल को ईडी की हिरासत में भेजा है । ऐसे में ही केजरीवाल ने कहा है कि, मुख्यमंत्री पद का त्यागपत्र दिए बिना ही कारागृह से सरकार चलाऊंगा । उन्होंने इस समय कहा कि, देहली की जनता भी यही चाहती है । केजरीवाल को राऊज एवेन्यू न्यायालय में उपस्थित किया गया था ।
ईडी के अधिकारी कपिल राज और सत्यव्रत की जासूसी करनेवाला १५० पन्नों का ब्योरा केजरीवाल के घर में प्राप्त होने का आरोप किया गया था । बताया गा है कि यह केवल १०० करोड रुपयों का ही घोटाला नहीं है; अपितु घूस देनेवालों ने मुनाफे से ६०० करोड कमाए है ।
Won't resign, will run the government from jail !
– Delhi Chief Minister Arvind KejriwalThe foundation of Bharat has been built on sacrifice, transparency, faultlessness and truth. Even in the West, the state-heads resign from their positions when accused of corruption.
Last… pic.twitter.com/rhY2POLmuI
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) March 23, 2024
केजरीवाल ने आगे कहा कि,
१. मुझे पता है कि अनेक दिक्कतों का सामना करना पडेगा; परंतु मैं यहीं से (कारागृह से) काम करने का प्रयास करूंगा ।
२. मेरा स्वास्थ्य बहुत अच्छा है । देहली उच्च न्यायालय के आदेश के उपरांत ईडी इतनी भागती हुई मुझे बंदी बनाने घर आएगी, ऐसा कभी लगा नहीं ।
३. अभी तक किसी भी प्रकार की पूछताछ नहीं हुई है । बंदी होते हुए भी पूछताछ होगी ही, इसका कोई भरोसा नहीं है; क्योंकि ईडी को पूछताछ नहीं करनी है । ईडी को जो कुछ करना है, वह वो कर सकती है ।
संपादकीय भूमिकात्याग, पारदर्शिता, निष्कलंकता और सत्य पर आधारित यह भारतभूमि है । पाश्चिमात्य देशों में भी भ्रष्टाचार जैसे आरोप होने पर राष्ट्रप्रमुख अपने पद का त्यागपत्र देते हैं । पीछले वर्ष नवंबर में पुर्तगाल के प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा ने भ्रष्टाचार का आरोप होने पर पद का त्यागपत्र दिया था । इसे देखा जाए, तो केजरीवाल की भूमिका उनकी नीतिहीनता और तत्वशून्यता दर्शाती है ! भारत में अर्थनीति ही सत्तानीति हुई है, केजरीवाल इसका ज्वलंत उदाहरण है, ऐसा कोई कहेगा, तो उसमें अनुचित क्या है ? |