‘एम्.आई.आई.वी.’ प्रौद्योगिकी से युक्त ‘अग्नि-५’ क्षेपणास्त्र का पहला परीक्षण रहा सफल !
विश्व के कुछ चुनिंदा देशों के पास ही है ‘एम्.आई.आई.आर्.वी.’ (‘मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री वेइकल) प्रौद्योगिकी !
नई देहली – भारत के स्वदेशी बनावटवाले ‘अग्नि-५’ क्षेपणास्त्र का प्रथम परीक्षण सफल रहा है । ‘मिशन दिव्यास्त्र’ के अंतर्गत यह परीक्षण किया गया । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक्स’पर पोस्ट कर यह जानकारी दी । यह क्षेपणास्त्र ‘मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री वेइकल’ प्रौद्योगिकी का उपयोग कर ‘डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन’ ने (‘डी.आर.डी.ओ.’ने) विकसित किया है ।
Proud of our DRDO scientists for Mission Divyastra, the first flight test of indigenously developed Agni-5 missile with Multiple Independently Targetable Re-entry Vehicle (MIRV) technology.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 11, 2024
इस पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘मिशन दिव्यास्त्र’ सफल होने से अब युद्ध के मार्चेपर एक ही क्षेपणास्त्र को विभिन्न स्थानों पर तैनात किया जा सकेगा । साथ ही यह परीक्षण सफल होने के कारण भारत अब ‘एम्.आई.आई.आर्.वी.’ प्रौद्योगिकी का उपयोग करनेवाले चुनिंदा देशों की सूची में अंतर्भूत हुआ है ।
क्या है इसकी विशेषता !
सामान्य क्षेपणास्त्र के द्वारा एक समय पर केवल एक ही परमाणु अस्त्र ले जाया सकता है तथा उसे दागा जा सकता है; परंतु ‘मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री वेईकल’ प्रौद्योगिकी के द्वारा एक ही क्षेपणास्त्र के द्वारा अनेक परमाणु अस्त्र ले जाए सकते हैं तथा उन्हें भिन्न-भिन्न लक्ष्यों पर दागा जा सकता है अर्थात एक ही क्षेपणास्त्र का उपयोग कर भारत अनेक परमाणु अस्त्र दाग पाएगा ।