जाति के आधार पर हो रहे भेदभाव के लिए केवल वर्णव्यवस्था ही उत्तरदायी नहीं !
मद्रास उच्च न्यायालय की उदयनिधि स्टैलिन के सनातन धर्म को नष्ट करने के प्रकरण पर टिप्पणी
चेन्नई (तमिलनाडु) – मद्रास उच्च न्यायालय ने उदयनिधि स्टैलिन के सनातन धर्म पर किए वक्तव्य पर प्रविष्ट याचिका पर सुनवाई करते समय टिप्पणी की है, ‘समाज में जाति के आधार पर भेदभाव है एवं उसे दूर करना आवश्यक है, इस पर हमारा विश्वास है । आज जिसको हम जातिव्यवस्था कहते हैं, उसका इतिहास एक शतक से भी अल्प है । इस कारण जाति के आधार पर समाज में निर्माण हुआ विभाजन एवं भेदभाव के लिए केवल वर्णव्यवस्था को ही उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता ।
"Cannot blame the Varna system entirely for the caste divide !"#Madras High Court observes in Udhayanidhi Stalin’s ‘Sanatan Dharma should be eradicated’ case !
There is caste divide in the society and we believe it is important to eradicate it. However, the caste system as we… pic.twitter.com/LJqy1akItB
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) March 8, 2024
न्यायमूर्ति अनिता सुमंत ने कहा कि
१. तमिलनाडु में ३७० पंजीकृत जातियां हैं । भिन्न भिन्न जातियों में कई बार तनाव की परिस्थिति निर्माण होती है; परंतु इसका कारण केवल जाति ही नहीं, अपितु उनसे मिलनेवाले लाभ भी हैं । ऐसे में संपूर्ण दोष केवल प्राचीन वर्णव्यवस्था पर कैसे थोपा जा सकता है ? इसका समाधान ढूंढने से भी नहीं मिलेगा ।
२. जाति के नाम पर लोग एकदूसरे पर आक्रमण करते हैं, ऐसा इतिहास में भी हुआ है । पहले काल की ये बुरी बातें दूर करने के लिए निरंतर सुधार करना आवश्यक हैं । आत्मनिरीक्षण होना चाहिए एवं भेदभाव कौन से मार्ग से दूर कर सकते हैं, इसका विचार होना चाहिए ।
३. वर्णव्यवस्था जन्म के आधार पर भेदभाव नहीं करती । यह लोगों के काम अथवा उनके व्यवसाय पर आधारित थी । समाज का कामकाज सुचारुरूप से चलें, इसलिए यह व्यवस्था की गई थी । यहां लोगों की पहचान काम से होती है । आज भी लोग केवल काम के बल पर ही पहचाने जाते हैं ।