सनातन संस्था है साधक को उसके ध्येय की ओर ले जानेवाली संस्था तथा सनातन के साधक हैं विभिन्न गुणों का संगम !
प.पू. भक्तराज महाराजजी के भक्तों द्वारा रामनाथी के आश्रम में कुछ दिन निवास करने के उपरांत उनके न्यास के अध्यक्ष श्री. शरद बापट द्वारा प.पू. डॉ. आठवलेजी को भेजा गया पत्र !
।। हरि ॐ तत्सत् ।।
श्रद्धेय प.पू. डॉ. आठवलेजी को सादर सप्रेम हरि ॐ तत्सत् ।
१. आश्रम में निवास करने से ‘साधक को उसके अंतिम ध्येय की ओर ले जानेवाली एकमात्र संस्था ‘सनातन संस्था’ है, यह बात ध्यान में आना !
१ अ. आप सब से विदा लेकर हम सभी १३.३.२०२३ को इंदौर सुरक्षित पहुंचे । ८.३.२०२३ से १२.३.२०२३ की अवधि में अनुभव किए ये अविस्मरणीय दिन हम सभी भक्तवात्सल्य-आश्रमवासियों के लिए अनोखे, अद्भुत एवं अविस्मरणीय थे तथा रहेंगे । रामनाथी के सनातन आश्रम में हमारा निवास एक अत्यंत सुखद एवं अभिभूत अवस्था में बीत गया ।
१ आ. आश्रम के साधकों की दिनचर्या, स्नेहल एवं आनंदमय व्यवहार, निरंतर हंसमुख पद्धति से हमारा किया गया आदरातिथ्य सदैव हमें स्मरण में रहेगा । आश्रम परिसर की स्वच्छता एवं पवित्रता बनाए रखनेवाले सभी साधक सचमुच ही अभिनंदन के योग्य हैं ।
१ इ. स्वच्छता, शुचिता, अत्यंत शांत एवं प्रसन्न वातावरण हमारे ध्यान में आया । साधनामार्ग में निहित सूक्ष्मताओं को अत्यंत सूचक, चौकस एवं प्रेमपूर्वक सूचित कर साधक को उसके अंतिम ध्येय की ओर ले जानेवाली एकमात्र संस्था है ‘सनातन संस्था !’ व्यष्टि से समष्टि की ओर ले जानेवाली साधनापद्धति का स्वेच्छा से एक ‘व्रती’ के रूप में स्वीकार किए हुए साधकों का विश्रामस्थान अर्थात ‘सनातन संस्था’ है, इसका भान हुआ ।
२. तन, मन एवं धन समर्पित किए साधकों का कार्य अतुलनीय !
२ अ. तन, मन एवं धन से समर्पित साधक श्री. दिनेश शिंदे, श्रीमती प्रियांका राजहंस, सुश्री. तेजल पात्रीकर एवं श्रीमती मंगला मराठे के कार्य की कोई तुलना नहीं है । उनका अत्यंत प्रेम से ओतप्रोत, अत्यंत हंसमुख एवं विनम्र मार्गदर्शन हमें प्राप्त हुआ । उसके लिए उनके प्रति कितना आभार व्यक्त करूं ! उनकी निष्ठा, श्रद्धा एवं समर्पणभाव को हमारा विनम्र अभिवादन !
२ आ. सबसे महत्त्वपूर्ण विभाग है भोजनव्यवस्था ! पू. रेखा काणकोणकरजी के अनुशासित, रेखांकित एवं स्वच्छतापूर्ण व्यवस्थापन का विलक्षण एवं अद्भुत अनुभव हमें हुआ । वे तो अन्नपूर्णा माता ही हैं । उसके साथ ही साधक श्री. आकाश कदम, कु. कोमल पाटील एवं कु. वैष्णवी गुरव का स्मरण हमें सदैव रहेगा । प्रसाद ग्रहण करते समय आहार के संपूर्ण नियोजन का अनुभव करने पर हमारे मन में विचार आ रहा था, ‘अन्नदाता सुखी भव ।’
२ इ. सनातन आश्रम में स्थित भव्य, सुसज्जित तथा आधुनिक यंत्रों से युक्त ‘स्टुडियो’ हमारा विशेष आकर्षक का केंद्र
रहा । उत्तम एवं कुशल चित्रीकरण करनेवाले, सदैव हंसमुख एवं विनम्रतापूर्वक सूचना देनेवाले साधक श्री. एवं श्रीमती सुतार, श्री. अतुल बधाले, श्री. विनय कुमार तथा श्री. केदार नाईक के स्नेहल एवं सात्त्विक स्वभाव के दर्शन भी हमें हुए ।
२ ई. परमभक्त श्री. भानुभैया के सेवाभाव की तो कोई तुलना ही नहीं है ।
२ उ. निरंतर सेवाभाव एवं उत्स्फूर्त भावना से कार्य करनेवाले चालकगण (साधक) सर्वश्री सागर म्हात्रे, स्वप्नील नाईक, परशुराम पाटील, सूरज पाटील एवं भगवंत नाईक सदैव ही हमारे ध्यान में रहेंगे ।
प.पू. भक्तराज महाराजजी एवं प.पू. रामानंद महाराजजी की जयजयकार हो ! अब इससे अधिक क्या लिखूं ?
आपका विनम्र, शरद बापट,अध्यक्ष, श्री सद्गुरु अनंतानंद साईश शैक्षणिक एवं पारमार्थिक सेवा ट्रस्ट, भक्तवात्सल्याश्रम, इंदौर, मध्यप्रदेश