सनातन संस्था धर्म की रक्षा हेतु निरंतर संघर्ष करने का जो कार्य कर रही है, वह केवल अद्भुत एवं अद्वितीय !
भारत की आध्यात्मिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक परंपराओं की रक्षा करते हुए भारतीयों को सदैव कार्यरत अथवा जागृत बनाए रखने के लिए संघर्ष करनेवाली ‘सनातन संस्था’ रजत-महोत्सव मना रही है । हम सभी के लिए यह अत्यंत आनंद एवं सम्मान का क्षण है । इस शुभ अवसर पर परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी के श्रीचरणों में वंदन करता हूं । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के अभिभावक स्वरूप फली-फूली सनातन संस्था के संदर्भ में कुछ विशद कर पाना, मेरे लिए असंभव है ।
मेरा सौभाग्य है कि मैं लगभग १२ वर्षों से सनातन संस्था के संपर्क में हूं । संस्था के सभी सद्गुरु, संत एवं साधकों से मिलने पर जो आत्मीयता का अनुभव होता है, वह अवर्णनीय है । सनातन संस्था के रामनाथी (गोवा) स्थित आश्रम के पवित्र परिसर में प्रवेश करते ही हृदय में भाव के स्पंदन निर्मित होते हैं । वहां उपस्थित अनुशासन-प्रिय एवं त्यागी साधकों के उत्तम व्यवहार एवं आवभगत के कारण मन प्रफुल्लित होता है ।
मुझे ऐसा लग रहा है कि देश-विदेश में निवास करनेवाले धर्माचरणी हिन्दुओं को आध्यात्मिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक ऊर्जा प्रदान कर धर्म की रक्षा हेतु निरंतर संघर्ष करने का जो अद्भुत कार्य सनातन संस्था कर रही है, वह अद्वितीय एवं अतुलनीय है ।
सनातन संस्था के रजत जयंती महोत्सव के अवसर पर मैं संस्था के उज्ज्वल भविष्य की इच्छा व्यक्त करते हुए, सभी देवी-देवताओं से हाथ जोडकर प्रार्थना करता हूं, ‘वे हम सभी राष्ट्रनिष्ठों को ऐसी सद्बुद्धि, समृद्धि एवं शक्ति प्रदान करें कि भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित करने के सनातन संस्था के ध्येय में यथाशक्ति हम भी सम्मिलित हो सकें ।’
– धर्म की रक्षा के लिए समर्पित श्री. विनोद कुमार सर्वोदय, राष्ट्रवादी चिंतक एवं लेखक, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश.