मुंबई के समीप घारापुरी गुफाएं भगवान शिव का प्राचीन स्थान; महाशिवरात्रि के दिन पूजा की अनुमति मिले !

महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की केंद्रीय पुरातत्व विभाग से मांग ! 

घारापुरी गुफा

मुंबई, ७ मार्च  – मुंबई के समीप घारापुरी द्वीप पर स्थित घारापुरी गुफाओं की शिवपिंडी, यह भगवान शिव का प्राचीन स्थान है । हिन्दुओं के धार्मिक स्थान पर महाशिवरात्रि के दिन समस्त हिन्दुओं को पूजा की अनुमति मिलनी चाहिए, इसलिए ७ मार्च के दिन महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की ओर से केंद्रीय पुरातत्व विभाग के मुंबई विभागीय कार्यालय में निवेदन दिया गया । इस समय विविध हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित थे ।

केंद्रीय पुरातत्व विभाग के अधिकार में देशभर में जितने भी धार्मिक स्थान हैं, उन सभी स्थानों पर पूजा की अनुमति मिले, इसलिए महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की ओर से आवाज उठाई गई है । ८ मार्च के दिन महाशिवरात्रि के अवसर पर सर्वप्रथम घारापुरी गुफा में स्थित शिवपिंडी की पूजा की अनुमति दें, ऐसी मांग महाराष्ट्र मंदिर महासंघ ने की है ।

ऐसे हुई संघर्ष की शुरुआत !

सर्वप्रथम सुदर्शन वाहिनी के मुख्य संपादक श्री. सुरेश चव्हाणके ने १४ फरवरी, २०२४ के दिन हुए एक कार्यक्रम में उपस्थित हिन्दुओं को घारापुरी स्थित शिवपिंडी के स्थान पर पूजा के लिए इकट्ठा आने का आवाहन किया था । इस आवाहन पर १५ फरवरी के दिन श्री. सुरेश चव्हाणके, हिंदु जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे और स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष श्री. रंजीत सावरकर के नेतृत्व में हिन्दुओं ने बडी संख्या में उपस्थित होकर यहां के शिवपिंडी की प्रतिनिधिक पूजा की । महाराष्ट्र मंदिर महासंघ ने पुरातत्व विभाग के अधिकार में आने वाले सभी धार्मिक स्थलों पर पूजा का अधिकार मिले, इस मांग के लिए आंदोलन खडा किया है ।

घारापुरी द्वीप ,यह भगवान शिव का प्राचीन धार्मिक स्थल !

घारापुरी की गुफाओं को ‘युनेस्को’ ने (‘संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संस्था’ ने) धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी है । ये गुफाएं छठवें से आठवें शतक की हैं,ऐसा माना जाता है । यहां की ५ गुफाएं एक ही भव्य शिला में होकर यहां के पत्थरों पर शिव की विविध कथाओं के प्रसंगों के भव्य शिल्प उकेरे गए हैं । यह शिल्प अर्थात भारतीय शिल्प कला का सर्वोत्कृष्ट नमूना माना जाता है । पुर्तगालियों के काल में इन शिल्पियों की तोडफोड की गई । ब्रिटिशों के समय में इन शिल्पों पर सीधे गोलीबारी का अभ्यास कर इसका अपमान किया गया । इस कारण वर्तमान स्थिति में यहां के अधिकांश शिल्प भग्न हो गए हैं । यह गुफा केंद्रीय पुरातत्व विभाग के अधिकार में होकर वर्तमान में यहां शिव पिंडी की पूजा-अर्चना बंद है ।