बंदी बनाए गए शहरी नक्सलवादी प्रा. साईबाबा की मुक्ति !
उच्च न्यायालय द्वारा निर्णय !
मुंबई – नक्सली एवं देशविरोधी गतिविधियों के प्रकरणों में बंदी बनाए गए शहरी नक्सलवादी एवं देहली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक जी.एन. साईबाबा को मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ ने निर्दोष मुक्त किया है । न्यायालय ने साईबाबा के साथ अन्य ५ लोगों को मुक्त करने का आदेश दिया है । सितंबर २०२३ में इस प्रकरण की सुनवाई पूर्ण हुई थी । न्यायालय द्वारा यह निर्णय अघोषित रखा गया था । महेश करिमन तिरकी, हेम केशवदत्ता मिश्रा, प्रशांत राही नारायण सांगलीकर, विजय नान तिरकी एवं पांडु पोरा नरोटे ऐसे अन्य शहरी नक्सलियों के नाम हैं । उनमें से नरोटे का निधन हो गया है ।
मुंबई उच्च न्यायालय के इस निर्णय के विरोध में राज्य सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की गई है; परंतु उच्च न्यायालय के निर्णय को स्थगित करने की मांग राज्य सरकार द्वारा नहीं की गई है । आगे के निर्णय तक प्रत्येक आरोपी को जमानत बॉन्ड के रूप में ५०,००० रुपए जमा करने पर जेल से रिहा किया जा सकता है। न्यायमूर्ति विनय जोशी एवं न्यायमूर्ति वाल्मीकि एस.ए. मेनेजेस की घटनापीठ के समक्ष यह सुनवाई संपन्न हुई ।
क्या है प्रकरण ?
वर्ष २०१७ में साईबाबा एवं अन्य ५ लोगों को गडचिरोली सत्र न्यायालय द्वारा दोषी प्रमाणित किया गया था । साईबाबा एवं अन्य आरोपियों का नक्सली गतिविधियों से संबंध होना, साथ ही उसमें से देशविरोधी गतिविधियों में सहभागी होने के आरोप में उनको दोषी ठहराया गया था । सत्र न्यायालय ने स्वीकार किया था कि इन सभी से नक्सली गतिविधियां उकसाने के लिए सामग्री मिली थी । अक्टूबर २०२२ में मुंबई उच्च न्यायालय ने साईबाबा को निर्दोष घोषित कर छोड दिया था । परंतु सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह निर्णय रद्द कर पुनः सुनवाई की जाने का आदेश दिया गया था ।