अभिव्यक्ति स्वतंत्रता का अनुचित उपयोग कर ऊपर से अधिकार का दावा कैसे कर सकते हो ?
सनातन धर्म का समूल नाश करने की भाषा बोलनेवाले उदयनिधि स्टैलिन को सर्वोच्च न्यायालय ने फटकारा !
नई देहली – सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टैलिन के पुत्र उदयनिधि स्टैलिन को फटकारते हुए प्रश्न पूछा, ‘आप अपनी अभिव्यक्ति स्वतंत्रता के अधिकार का अनुचित उपयोग कर अब सर्वोच्च न्यायालय में छूट मांगनेवाले अधिकार का दावा कैसे रहे हो ?’ कुछ माह पूर्व उदयनिधि ने सनातन धर्म की तुलना डेंग्यू-मलेरिया से कर उसका समूल नाश करने का वक्तव्य दिया था । इस संदर्भ में उदयनिधि ने अपने विरुद्ध आरोपों का विरोध करते हुए एवं कार्रवाई से छूट मांगनेवाल याचिका प्रविष्ट की थी । तब सुनवाई करते हुए न्यायालय ने उनको फटकारा । इस प्रकरण की आगे की सुनवाई १५ मार्च को होगी ।
सौजन्य : इंडिया टूडे
न्यायालय ने स्टैलिन को आडे हाथ लेते हुए कहा, ‘आप एक मंत्री हैं । आपको ऐसे बातों के परिणामों का भान होना चाहिए !
आप ने संविधान की धारा १९(१)(अ) अंतर्गत प्राप्त अधिकारों का दुरुपयोग किया, उनका अपमान किया है । अब आप धारा ३२ के अनुसार प्राप्त दाद मांगने का अधिकार का उपयोग करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका कैसे प्रविष्ट कर सकते हो ? क्या आपको ज्ञात नहीं था कि आपने जो कुछ कहा है, उसके परिणाम क्या होंगे ? आप कोई सामान्य व्यक्ति नहीं, अपितु एक मंत्री हैं । आपको ऐसी बातों के परिणामों का भान होना चाहिए ।’
Supreme court rebukes #UdhayanidhiStalin for statements aimed at destroying Sanatana Dharma.
How do you claim higher rights by misusing freedom of expression ?
Devout Hindus demand stringent punishment for Udhayanidhi by the Supreme Court Of India.pic.twitter.com/4u0miqKbFc
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) March 4, 2024
क्या कहा था उदयनिधि ने ?उदयनिधि स्टैलिन ने कहा था, ‘सनातन धर्म समानता एवं सामाजिक न्याय के विरुद्ध है । इस कारण ऐसी बातों का विरोध करने की अपेक्षा उसका समूल नाश करना चाहिए । मच्छर, डेंग्यू, मलेरिया एवं कोरोना जैसी बीमारियों का विरोध नहीं कर सकते । उनका उच्चाटन ही करना चाहिए । ठीक उसी प्रकार सनातन धर्म को भी जड से उखाडकर फेंक देना चाहिए ।’ |
संपादकीय भूमिकासर्वोच्च न्यायालय द्वारा उदयनिधि को कठोर दंड देना चाहिए, ऐसी सनातन धर्मियों की मांग है ! |