Allahabad HC Hindu Marriage Act : प्रेमविवाह के कारण बढ रहे विवाद से हिन्दू विवाह कानून में परिवर्तन करना चाहिए ! – इलाहाबाद उच्च न्यायालय
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) – इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रेमविवाह किए दंपती के विवाह-विच्छेद के प्रकरण में पति के पक्ष में निर्णय देकर मत व्यक्त करते हुए कहा, ‘आज जितनी सहजता से प्रेमविवाह हो रहे हैं, उतनी ही गति से दंपती में विवाद भी निर्माण हो रहे हैं । इसे देखते हुए हिन्दू विवाह कानून में परिवर्तन करने चाहिए ।’ वर्तमान में हिन्दू विवाह कानून के अनुसार विवाह-विच्छेद की मांग करनेवाले दंपती को विवाह-विच्छेद की याचिका प्रविष्ट करने के उपरांत ६ माह एकत्रित रहना पडता है ।
Due to the increasing trend of love marriages, it has now become imperative to change the Hindu Marriage Act ! – Allahabad High Court
According to the Dharmashastras, irrespective of the type of marriage, love or arranged, a person has to undergo his destiny. It is also… pic.twitter.com/OVKy7Ii0X8
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) March 3, 2024
न्यायलय ने कहा है कि हिन्दू विवाह कानून वर्ष १९५५ में किया गया था । उस समय वैवाहिक संबंधों में भावना एवं आदर का स्तर उच्च था । तब आज के समान विवाह नहीं होते थे । अब शिक्षा, आर्थिक स्वतंत्रता, जातीय अडचनों पर मात करना, आधुनिकता एवं पाश्चात्त्य संस्कृति के प्रभाव से विवाह संस्था में अनेक परिवर्तन हुए हैं । वास्तव में देखा जाए तो समाज अधिक मुक्त एवं व्यक्तिवादी बन गया है । इसमें भावनिक आधार को अधिक स्थान नहीं है ।
संपादकीय भूमिकाधर्मशास्त्र कहता है कि प्रेमविवाह हो अथवा प्रथागत विवाह किया गया हो, प्रारब्ध के अनुसार जो भोग भोगने हैं, वे भोगने ही पडते हैं । उसमें भी प्रेमविवाह करते समय जन्मकुंडली देखना, एकदूसरे के गुण-दोष ध्यान में रखना, समझौता करने की मानसिकता बनाना आदि बातों का भी विचार होना आवश्यक है ! |