US Moon Landing : ५१ वर्षों के उपरांत पहली बार अमेरिकी यान द्वारा चंद्रमा पर लैंडिंग !
‘इंट्युइटिव मशीन्स’ नामक कंपनी का सफल अभियान !
वाशिंग्टन (अमेरिका) – पिछले वर्ष अगस्त में भारत के ‘चंद्रयान-३’ के सफल अभियान के उपरांत अब अमेरिका भारत के पश्चात दूसरा देश है, जिसने चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर अपना यान सफलतापूर्वक ‘लैंड’ किया है । भारतीय प्रमाण समय के अनुसार २३ फरवरी को प्रातः ४ बजकर ५३ मिनिट पर अमेरिका के ‘इंट्युइटिव मशीन्स’ नामक कंपनी का ‘ओडिसेस’ नामक लैंडर चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर हलके से उतरा है । इस यान को ‘आइएम-१’ कहा जाता है । आगे १४ दिन तक वह कार्यरत रहेगा । चंद्रमा की भिन्न भिन्न जानकारी यान पर स्थित संवेदकों द्वारा (‘सेन्सर्स’ द्वारा) एकत्रित की जाएगी । अमेरिका के भविष्य के चंद्रमा अभियानों के लिए इस कंपनी की सहायता ली जाएगी ।
‘ओडिसेस’ की विशेषताएं !
१. वजन : १ सहस्र ९०० किलो
२. प्रक्षेपण का समयावधि : ८ दिन – १५ फरवरी को प्रक्षेपण; २१ फरवरी को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा एवं २३ फरवरी को प्रातः चंद्रमा पर सफल लैंडिंग ।
३. ‘ओडिसेस’ के ६ पांव हैं ।
४. आकार : ४.३ मीटर ऊंचाई का छः बाजुओं का यान । एक छोटे ‘एस.यू.वी.’ (खेल एवं नियमित प्रयोग के लिए बनाया गया चारपहिया वाहन) जितना यह यान है ।
An American craft lands on the Moon for the first time in the last 51 years !
Successful campaign of an establishment named 'Intuitive Machines' !
Features of 'Odysseus' !
🔸Weight : 1,900 Kilograms
🔸Launch Duration : 8 days – launched on 15 🔸February; it reached Lunar orbit… pic.twitter.com/fqlv9zF1io— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) February 23, 2024
अमेरिका के चंद्रमा अभियान !
अमेरिका के चंद्रमा पर अनेक अभियान हुए हैं तथा १९ दिसंबर १९७२ को ‘अपोलो-१७’ अभियान के माध्यम से अमेरिका के अंतिम २ अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर उतरे थे । अपोलो अभियान के अंतर्गत अमेरिका के कुल १२ अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर उतर चुके हैं । इसके उपरांत भले ही अमेरिका द्वारा सीधे चंद्रमा के आसपास विविध यान भेजे गए थे, तथापि प्रत्यक्ष चंद्रमा पर उतरनेवाला कोई भी अभियान नहीं किया गया था ।
‘नासा’ का आगामी महत्त्वाकांक्षी चंद्रमा अभियान !
‘आर्टिमिस प्रोग्राम’ के माध्यम से चंद्रमा पर रहने का अभियान अमेरिका के नासा ने हाथ में लिया है । वर्ष २०२५ के उपरांत अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर पुनः उतरने का प्रयास करेंगे तथा कुछ दिन चंद्रमा पर रहेंगे भी ।