‘दारुल उलूम देवबंद’ की ‘गजवा-ए-हिंद’ को नए फतवे द्वारा मान्यता !
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पुलिस को कार्यवाही के लिए भेजा नोटीस
(‘गजवा-ए-हिंद’, अर्थात भारत पर आक्रमण कर मुसलमानों द्वारा उसपर राज्य करना)
(‘दारुल उलूम देवबंद’ – उत्तर प्रदेश का एक इस्लामी शिक्षा संस्थान)
सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) – यहां के ‘दारुल उलूम देवबंद’ नामक इस्लामी शिक्षा संस्थान ने उसके नए फतवे में ‘गजवा-ए-हिंद’ को मान्यता दी है । फतवे में कहा है कि, ‘भारत पर हुए आक्रमण में जिन लोगों की मृत्यु हुई, उन्हें ‘महान शहीद’ कहा जाएगा और वे स्वर्ग में जाएंगे ।’ ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ ने इस फतवे की ओर स्वयं ध्यान दिया है और इस फतवे के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए सहारनपुर के पुलिस अधिकारियों को नोटीस भेजकर अपराध प्रविष्ट करने को कहा है । साथही संबंधित कार्यवाही का ब्योरा आयोग को १५ दिनों में भेजने के लिए बताया है ।
१. दारुल उलूम के जालस्थल पर एक प्रश्न उपस्थित किया गया था कि, ‘हदीस’ में (किसी विशिष्ट परिस्थिति में मुहंमद पैगंबर का आचरण कैसा था, वे कैसे बोले इसका संग्रह) उपमहाद्वीप में भारत पर हुए आक्रमण का उल्लेख है क्या ? और जो इस युद्ध में ‘शहीद’ होगा उसे ‘महान शहीद’ कहा जाएगा क्या ? और जो ‘गाजी’ (इस्लाम के लिए लडनेवाला शूर योद्धा) होगा, वह स्वर्ग में होगा क्या ?
२. इस प्रश्न के उत्तर में दारुल उलूम ने फतवा निकालते समय ‘सुनान-अल-नासा’ नामक पुस्तक का संदर्भ देकर कहा है कि, इस पुस्तक में ‘गजवा-ए-हिंद’ पर एक संपूर्ण अध्याय है । हजरत अबू हुरैरा के हदीस का संदर्भ देते हुए कहा है कि, ‘अल्लाह के फरिश्ते ने भारत पर आक्रमण करने का वचन दिया था । उन्होंने कहा था कि, ‘मैं जीवित रहा, तो इसके लिए मैं अपनेआप का और मेरी संपत्ति का त्याग करूंगा । मैं सबसे महान शहीद हो जाऊंगा ।’ इस फतवे में ऐसा भी बताया गया कि देवबंद के ‘मुख्तार एंड कंपनी’ ने यह पुस्तक छपवाया है ।
३. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने नोटीस में कहा है कि, यह मदरसा भारत के बच्चों को देशविरोधी प्रशिक्षण दे रहा है । इससे इस्लामी कट्टरतावाद को प्रोत्साहन मिलेगा । बच्चों में देश के प्रति द्वेष निर्माण होगा । छोटे बच्चों को बिना किसी कारण कष्ट देना अथवा शारीरिक पीडा देना, बाल न्याय कानून की धारा ७५ का उल्लंघन है ।
इसके पहले के विवादास्पद फतवों पर पुलिस ने नहीं की थी कार्यवाही !आयोग ने कहा है कि इसके पहले वर्ष २०२२ और वर्ष २०२३ में आयोग ने दारुल उलूम के विवादास्पद फतवों के संदर्भ में अपराध प्रविष्ट करने की मांग की थी; परंतु पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की थी । आयोग ने चेतावनी दी है कि, ऐसी स्थिति में अभी के फतवे के कारण यदि कुछ विपरीत घटना घटेगी, तो जिला प्रशासन भी इसके लिए उतना ही उत्तरदायी होगा । (उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार होते हुए भी यदि पुलिस और प्रशासन इस प्रकार से निष्क्रिय रहते होंगे, तो हिन्दुओं को यह अपेक्षित नहीं है ! – संपादक) |
'Darul Uloom Deoband' approves 'Gazwa-e-Hind' through new fatwa!
The @NCPCR_ has issued a notice to the police to take action
Looking at the history and present of 'Darul Uloom Deoband', it would be appropriate to ban it as anti-India and anti-Hindu activities are being carried… pic.twitter.com/3lDCJDOsjn
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) February 22, 2024
संपादकीय भूमिका‘दारुल उलूम देवबंद’ का इतिहास और वर्तमान देखते हुए लगता है कि ऐसे शिक्षा संस्थान की ओर से भारतद्वेषी और हिन्दूद्वेषी कार्यवाहियां की जाने से उसपर प्रतिबंध लगाना ही उचित होगा ! इसके लिए हिन्दुओं को केंद्र और राज्य सरकार पर दबाव निर्माण करना होगा ! |