सरकारी धन से मदरसों में शिक्षा देना, यह संविधान का उल्लंघन !
राष्ट्रीय बाल अधिकार रक्षा आयोग द्वारा बिहार सरकार को नोटिस !
नई देहली – बिहार के मदरसों से संबंधित प्रश्नों के असमाधानकारक उत्तर मिलने के पश्चात राष्ट्रीय बाल अधिकार रक्षा आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव आमिर सुभानी को समन्स भेजकर उत्तर देने के लिए अयोग के समक्ष उपस्थित रहने को कहा है ।आयोग ने कहा है, ‘मदरसों में बच्चों को अन्य किसी विद्यालय में भेजने की अपेक्षा सरकारी धन से शिक्षा देना, संविधान का उल्लंघन है । मदरसों को सरकारी सहायता क्यों दी जाती है ?, इसका कोई भी समाधानकारक उत्तर बिहार सरकार नहीं दे सकी है ।’
Providing education through M@dar@$@$ with government money is a violation of the Constitution!
Notice to Bihar Government from @NCPCR_ !
As there is a JDU and BJP coalition government in #Bihar , such notices should not be required ! The government should cease giving… pic.twitter.com/Wn9rRKe5xA
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) February 22, 2024
१. आयोग ने कहा है, ‘शिक्षा अधिकार कानून के अनुसार देश के प्रत्येक बच्चे को शिक्षित करना आवश्यक है । संविधान के अनुसार प्राथमिक शिक्षा प्राप्त होना, यह किसी भी बच्चे का मूलभूत अधिकार है । सरकार द्वारा बच्चों को शिक्षा किस प्रकार देनी चाहिए, यह भी संविधान में कहा है ।’
२. आयोग ने इस प्रकरण में बिहार सरकार को प्रतिज्ञापत्र प्रस्तुत करने को कहा है । आयोग ने कहा है, ‘बिहार में पंजीकृत न किए हुए कितने मदरसे चालू हैं ? मदरसों में कितने गैरमुसलमान छात्र पढ रहे हैं ? उनकी संपूर्ण जानकारी दी जाए । कितने गैरमुसलमान छात्रों ने मदरसों से बारहवीं कक्षा तक पढाई पूर्ण की ? कितने गैरमुसलमान छात्र मदरसों से पढाई पूर्ण कर मौलवी बने हैं ? उनकी जानकारी सरकार को देनी होगी ।
३. आयोग ने मदरसों में कौनसा पाठ्यक्रम पढाया जाता है, इस विषय में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एन.सी.ई.आर.टी.) एवं युनिसेफ (संयुक्त राष्ट्रों का अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन निधि) को नोटिस भेजा है ।
संपादकीय भूमिकाबिहार में संयुक्त जनता दल (जे.डी.यु.) एवं भाजपा की सरकार होते हुए ऐसा नोटिस क्यों देना पड़े ? सरकार मदरसों को सरकारी अनुदान देना बंद करे ! |