वर्ष १९७० का ‘मुक्त संचार व्यवस्था’ (फ्री मूवमेंट रिजीम) अनुबंध किया रद्द !
भारत-म्यांमार सीमा की सुरक्षा हेतु केंद्र सरकार का एक महत्त्वपूर्ण निर्णय !
आजकल म्यांमार में विद्रोही गुट एवं सेना के मध्य संघर्ष चल रहा है, साथ ही नवंबर २०२३ में भारत में म्यांमार के लगभग ६०० सैनिक घुस गए थे । इस प्रकरण में मिजोरम सरकार ने केंद्र सरकार से सहायता मांगी थी ।
देश की सुरक्षा की दृष्टि से भारत सरकार ने कुछ दिन पूर्व एक बडा निर्णय लिया । उसके अनुसार भारत-म्यांमार सीमा पर १ सहस्र ६४३ किलोमीटर का घेरा तैयार किया जानेवाला है । अब उसके भी आगे जाकर सरकार ने और एक निर्णय लिया है, वह यह है कि ‘फ्री मूवमेंट रिजीम’ (एफ.एम.आर.) अर्थात ‘मुक्त संचार व्यवस्था’ अनुबंध निरस्त किया गया है ।
१. गृह मंत्रालय द्वारा ‘एफ.एम.आर.’ को तत्काल निरस्त करने की अनुशंसा
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा ने इस संदर्भ में सामाजिक माध्यम ‘एक्स’ पर इसकी जानकारी देते हुए कहा, ‘‘देश की आंतरिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने हेतु तथा म्यांमार की सीमा से लगे भारत के ईशान्य के राज्यों की जनसंख्या की शास्त्रीय संरचना रखी जानी चाहिए । उसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भारत एवं म्यांमार के मध्य ‘फ्री मूवमेंट रेजिम’ (एफ.एम.आर.) अनुबंध को निरस्त करने का निर्णय लिया है । आज के समय विदेश मंत्रालय उसे निरस्त करने की प्रक्रिया में होने से गृह मंत्रालय ने ‘एफ.एम.आर.’ को तत्काल निरस्त करने की अनुशंसा की है ।’’
२. क्या है ‘मुक्त संचार व्यवस्था’ ?
भारत एवं म्यांमार की सीमा पर मिजोरम, मणीपुर, नागालैंड एवं अरुणाचल प्रदेश ये ४ राज्य आते हैं । दोनों देशों ने वर्ष १९७० में ‘मुक्त संचार व्यवस्था’ का अनुबंध स्वीकार किया था, उसके कारण सीमाक्षेत्र के आदिवासी जनजातियों को दोनों देशों में १६ किलोमीटरतक विजा के बिना मुक्त यात्रा करने की अनुमति दी गई थी; परंतु अब यह अनुबंध रद्द किया गया है ।
३. केंद्र शासन भारत-म्यांमार सीमा पर बनाएगा १ सहस्र ६४३ किलोमीटर का घेरा !
सितंबर २०२३ में मणिपुर के मुख्यमंत्री ने गृह मंत्रालय से ‘अवैध घुसपैठ रोकने हेतु ‘मुक्त संचार व्यवस्था’ अनुबंध निरस्त करने की अनुशंसा की थी । उस समय उन्होंने यह भी कहा था कि म्यांमार की सीमा पर घेरा बनाने के काम को गति दी जा रही है । मणिपुर की म्यांमार के साथ ३९० कि.मी. लंबाई की सीमा है । इसमें से केवल १० कि.मी. के घेरे का काम पूर्ण हुआ है । इस अनुबंध के कारण अज्ञातवश अवैध स्थानांतरण, मादक पदार्थाें की तस्करी तथा हथियारों का व्यापार होने की आलोचना की जा रही थी । भारत एवं म्यांमार की सीमा घने जंगल तथा असमान भूस्थिति से (मैदानी प्रदेशरहित) गुजरती है । सीमा के बडे क्षेत्र में घेरा न बनाए जाने के कारण वहां पर ध्यान रखना कठिन हो जाता है ।
– ब्रिगेडियर हेमंत महाजन (सेवानिवृत्त), पुणे (९.२.२०२४)