ध्रुवीकरण वैश्विक स्तर पर सबसे बडा सामाजिक संकट ! – विशेषज्ञ

वाशिंग्टन (अमेरिका) – ‘वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम’ का कहना है, ‘ध्रुवीकरण वैश्विक स्तर पर सबसे बडा सामाजिक संकट है ।’ इस संगठन ने १ सहस्र ५०० वैश्विक नेताओं का मत लेकर यह निष्कर्ष प्रस्तुत किया है । फोरम ने ऐसा भी कहा है, ‘इस चुनौती पर परस्पर सहकार्य से मात करना संभव है । ‘लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स’ के वित्तिय मानसशास्त्र के प्राध्यापक माइकेल मुथुकृष्णा कहते हैं, ‘संगठित कार्य करने की भावना यह मानव की सबसे बडी शक्ति है । संघर्ष का संकट रहता ही है, परंतु सहकार्य का शास्त्र दिखाता है कि मित्रतापूर्ण एवं सौहार्दपूर्ण वातावरण निर्माण कर हम बडी चुनौती पर मात कर सकते हैं । केवल परस्पर सहकार्य की भावना हमें सशक्त करनी है ।

जब लोग ध्येय साध्य करने के लिए अधिक लोगों के साथ काम करते हैं, तब सहकार्य की भावना निर्माण होती है । मुथुकृष्णा कहते हैं, ‘यह सहकार का नियम है । परस्पर लाभ के कारण दो देशों के मध्य व्यापार युद्ध का संकट अल्प होता है । संगठित काम कर हम विभक्तिकरण, ध्रुवीकरण एवं हवामान परिवर्तन जैसे विश्व के सबसे बडे संकटों का सामना कर सकते हैं ।’

संपादकीय भूमिका

हिन्दू धर्म में ‘सर्वेत्र सुखिन: संतु…’ यह वही सीख है । सही अर्थों में परस्पर सहकार्य होने के लिए अध्यात्मविहीन विज्ञान का कुछ भी उपयोग नहीं है । मानवसमूह को साधना करना ही आवश्यक है, यहां यह ध्यान में लेना आवश्यक है !