Swami Govind Dev Giri Maharaj : १४ फरवरी को प. पू. स्वामी गोविंददेव गिरिजी महाराज का ‘अमृत-महोत्सव सम्मान समारोह’ !

‘स्वातंत्र्यवीर वीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक’ तथा ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ के सहयोग से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा मुंबई में सम्मानित किया जाएगा  ।

मुंबई – ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक’ एवं ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ के सहयोग से ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास’ के कोषाध्यक्ष प. पू. स्वामी गोविंददेव गिरिजी महाराज का ‘अमृत-महोत्सव सम्मान समारोह’ आयोजित किया गया है । १४ फरवरी को शाम ४ बजे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा दादर के शिवाजी पार्क में ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक’ पर मा. स्वामी गोविंददेव गिरीजी महाराज का सम्मान किया जाएगा ।

इस समारोह के मुख्य अतिथि राज्य के विद्यालय शिक्षा मंत्री तथा मुंबई शहर के संरक्षक मंत्री श्री. दीपक केसरकर, स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्यकारी अध्यक्ष श्री. रणजीत सावरकर, शिवसेना सांसद श्री. राहुल शेवाले, भाजपा के मुंबई क्षेत्र अध्यक्ष विधायक श्री. आशीष शेलार, भाजपा प्रवक्ता एवं विधायक श्री. अतुल भातखलकर, शिवसेना प्रमुख प्रतोदl (विधानसभा में पार्टी के श्रेष्ठों द्वारा नियुक्त प्रमुख) विधायक श्री. भरतशेठ गोगावले, ‘सुदर्शन न्यूज’ के मुख्य संपादक श्री. सुरेश चव्हाणके, मुंबई स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के अध्यक्ष श्री. प्रवीण दीक्षित, हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे तथा अन्य गणमान्य लोग उपस्थित होंगे, यह जानकारी ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक’ तथा ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ की संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी गई है । उनके अमृत-महोत्सव सम्मान समारोह के अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य लोग आएंगे । इस समारोह में बड़ी संख्या में उपस्थित रहने की अपील ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक’ तथा ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ की ओर से की गई है ।

इस आयोजन के बारे में अधिक जानकारी के लिए ८०८०२०८९५८ पर संपर्क करें।

प. पू. स्वामी गोविंददेव गिरिजी महाराज की कृतियां !

५०० वर्ष उपरांत अयोध्या में बने भव्य श्री राम मंदिर के निर्माण में प. पू. स्वामी गोविंददेव गिरिजी महाराज का बहुमूल्य योगदान रहा है । इतना ही नहीं बल्कि स्वामीजी ने १७ वर्ष की आयु से ही श्रीमद्भागवत, रामायण, महाभारत, योगवसिष्ठ ज्ञानेश्वरी, दासबोध आदि ग्रंथों के माध्यम से धार्मिक शिक्षा का महान कार्य किया । कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य स्वामी श्री जयेंद्र सरस्वतीजी ने स्वामीजी को ‘परमहंस संन्यास’ की दीक्षा दी । स्वामीजी ने आलंदी (पुणे) में आश्रम की स्थापना की तथा भावी पीढ़ियों के लिए ‘संत श्री ज्ञानेश्वर गुरुकुल’, ‘श्रीकृष्ण सेवानिधि न्यास’, ‘महर्षि वेद व्यास प्रतिष्ठान’ आदि के माध्यम से राष्ट्र तथा धर्म के लिए महान कार्य किए।