साधको, बालसाधकों अथवा साधकों के छायाचित्र खींचते समय निम्न सूक्ष्मताएं ध्यान में लें !
दैनिक ‘सनातन प्रभात’ से साधकों अथवा बालसाधकों का लेखन प्रकाशित करते समय उसके साथ उनके छायाचित्र भी प्रकाशित किए जाते हैं । अनेक बार ये छायाचित्र ठीक से खींचे नहीं जाते, इसलिए उन्हें प्रकाशित नहीं किया जा सकता तथा उचित छायाचित्र प्राप्त करने हेतु सेवारत साधकों को बहुत समय देना पडता है । अब से साधक छायाचित्र खींचते समय निम्न सूक्ष्मताएं ध्यान में लें तथा उचित छायाचित्रोंसहित लेखन भेजें ।
१. बालसाधक
अ. बालसाधकों का लेखन भेजते समय कुछ अभिभावक अपने बच्चे को जानबूझकर भिन्न वेशभूषा पहनाकर छायाचित्र खींचते हैं । कुछ अभिभावक असात्त्विक वस्त्र धारण किए हुए छायाचित्र भेजते हैं । बालकों को भडकाऊ रंगों के, साथ ही चित्रविचित्र कलाकारी से युक्त कपडे न पहनाएं । उन्हें सात्त्विक रंग के कपडे पहनाएं । लडकियों को ‘फ्रॉक’ अथवा लेहंगा-चुनरी; साथ ही लडकों को सात्त्विक रंग का कुर्ता पहना सकते हैं ।
आ. लडके-लडकियों के केश बिखरे हुए न हों । उन्हें व्यवस्थित पद्धति से कंघी कर केश की मांग बनाएं । लडकी के केश लंबे हों, तो उसके केश की दो चोटियां अथवा एक चोटी बनाएं ।
इ. बालक की आंखों में काजल न डालें । छायाचित्र में बालक की दृष्टि सीधे हो । छायाचित्र खींचते समय बालक को सामने छायाचित्रक की ओर (कैमरे की ओर) देखने को कहें ।
ई. बालक के माथे पर तिलक लगा सकते हैं, साथ ही बालिका के माथे पर कुमकुम लगा सकते हैं ।
उ. छायाचित्र खींचते समय लडका-लडकी का चेहरा हंसमुख हो ।
२. साधिका
अ. केवल चेहरा ही दिखे, ऐसा छायाचित्र न खींचे । छायाचित्र में चेहरे से लेकर अनाहत चक्र (छाती) तक का भाग दिखना चाहिए ।
आ. साधिका भडकाऊ रंग की वेशभूषा न कर सात्त्विक रंग की वेशभूषा करें करे । पंजाबी वेशभूषा की हो, तो ओढनी व्यवस्थित ली गई हो, उसे फैलाकर न लें ।
इ. यदि साधिका विवाहित है, तो उसके गले में पहना हुआ मंगलसूत्र व्यवस्थित दिखना चाहिए । अविवाहित साधिकाएं गले में ‘चेन’ जैसा आभूषण पहन सकती हैं ।
३. साधक
अ. साधक भडकाऊ रंग का अथवा रंग-बिरंगा कुर्ता नहीं, अपितु सात्त्विक रंग का कुर्ता पहनकर छायाचित्र खींचवाएं ।
आ. कुर्ता पारदर्शी, तथा सिलवटों वाला न हो ।
४. सामूहिक सूत्र
अ. छायाचित्र खींचते समय पीछे की पृष्ठभूमि गहरे रंग की न चुनकर हलके रंग की चुनें ।
आ. छायाचित्र दिन में तथा प्रकाश में खींचे । छायाचित्र खींचते समय मुंह पर छाया न आए, इसकी ओर ध्यान दें ।
इ. छायाचित्र खींचते समय बालक अथवा साधक की दृष्टि सामने हो । उनके दोनों कान एवं कंधे सीधे हों । छायाचित्र में उनके दोनों कंधे संपूर्ण दिखाई दें ।
ई. चश्मा पहननेवाले साधकों अथवा साधिकाओं के चश्मे पर प्रकाश न आए, इसकी ओर ध्यान दें ।
उ. केश बिखरे हुए न हों । केश में तेल अथवा पानी लगाकर उनकी व्यवस्थित कंघी कर छायाचित्र खींचें ।
ऊ. एक हंसमुख एवं दूसरा स्मितहास्य किया हुआ छायाचित्र खींचें ।
‘छायाचित्र किस पद्धति से होने चाहिए’, इसके नमूने साथ में दिए गए हैं । साधक उसके अनुसार छायाचित्र खींचकर उन्हें लेखन के साथ भेजें ।
महत्त्वपूर्ण सूचना
छायाचित्र भेजते समय केवल एक ही छायाचित्र न भेजकर २-३ छायाचित्र भेजें, जिससे उनमें से उचित छायाचित्र का चयन किया जा सके । ‘छायाचित्र कब खींचे गए हैं’, इसका भी धारिका में उल्लेख करें ।’
– संकलन विभाग, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (६.१.२०२४)