परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करना ही सब कुछ नहीं है ! (Delhi HC To IIT Students)

  • दिल्ली उच्च न्यायालय का ´आई.आई.टी.´ छात्रों को परामर्श !

  • पढाई में अच्छा प्रदर्शन करने के तनाव के कारण आई.आई.टी. दिल्ली के २ छात्रों ने आत्महत्या कर ली !

नई देहली – आई.आई.टी. छात्रों को यह समझाने का प्रयत्न करें कि परीक्षा में ऊंचे अंक प्राप्त करना महत्वपूर्ण है, किन्तु  यह जीवन में सबसे महत्वपूर्ण बात नहीं है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के दबाव के आगे झुके बिना भी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया जा सकता है। भारत के प्रतिष्ठित अभियांत्रिकी विश्वविद्यालय  ‘आई.आई.टी. दिल्ली’ के २ छात्रों ने गत वर्ष आत्महत्या कर ली थी। इस पर न्यायालय ने उपरोक्त वक्तव्य दिया। न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने प्रकरण की सुनवाई की।

इस अवसर पर न्यायाधीश ने कहा कि युवाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए। इससे उन्हें छात्र जीवन में सभी प्रकार की चुनौतियों का सामना करने का आत्मविश्वास मिलेगा।

गत वर्ष आई.आई.टी. दिल्ली के दो अनुसूचित जाति के छात्रों ने आत्महत्या कर ली थी। उनके माता-पिता ने संस्था पर जातिगत भेदभाव का आरोप लगाया था और संस्था के विरुद्ध आरोप लगाया था, साथ ही दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका भी प्रविष्ट की थी। प्रकरण की जांच के उपरांत पुलिस ने कहा कि आई.आई.टी. दिल्ली में जातिगत भेदभाव का कोई साक्ष्य नहीं मिला। दूसरी ओर, यह पाया गया कि छात्र कई विषयों में अनुत्तीर्ण हो रहे थे। उन पर अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव था। इस पर उच्च न्यायालय ने कहा कि जातिगत भेदभाव के प्रकरण में किसी जांच का आदेश नहीं दिया जा सकता।

संपादकीय भूमिका 

आई.आई.टी. के छात्रों को ‘देश की शीर्ष प्रतिभा ‘ अर्थात  ‘देश के सर्वोत्कृष्ट छात्र’ कहा जाता है। सार्वजनिक स्तर पर अपने-अपने क्षेत्र में सबसे गहन बौद्धिक क्षमता वाले छात्र यहां एकत्र होते हैं। इसलिए उनसे ऐसे समय में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की स्वाभाविक आकांक्षाएं होती हैं। अपने आप को प्रतिस्पर्धा से उत्तम बनाना, किन्तु पूर्ण रूप से निरपेक्ष प्रदर्शन आवश्यक है। यहीं पर आध्यात्मिकता का महत्व अधोरेखित होता है। विद्यार्थियों के लिए बचपन से ही साधना करना क्यों आवश्यक है, यह उनके आत्महत्या जैसे किए गए चरम प्रयासों से विदित होता है !