Supreme Court On Gyanvapi : व्यासजी तलघर की पूजा के विरोध में उच्च न्यायाल में जाएं !
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मुसलमान पक्ष को निर्देश !
नई देहली – वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के व्यासजी तलघर में हिन्दू पक्ष को पूजा करने की वाराणसी जिला न्यायालय ने अनुमति दी है । उसके विरुद्ध मुस्लिम पक्ष ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की थी । तब सर्वोच्च न्यायालय ने मुस्लिम पक्ष को इस अनुमति के विरुद्ध इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जाने का निर्देश दिया है । इसपर ६ फरवरी को आगे की सुनवाई होगी ।
मुसलमान पक्ष की अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति ने यह याचिका प्रविष्ट की थी । उसमें कहा गया था कि जिला न्यायालय की अनुमति के पश्चात सरकार ने जल्दबाजी में संबंधित स्थान पर बंदोबस्त नियुक्त कर वहां की लोहे की बाड हटा दी है । उन्होंने दावा करते हुए कहा, ‘‘पूजा के लिए आवश्यक व्यवस्था करने के लिए जिला न्यायालय ने एक सप्ताह का समय दिया था, इसलिए सरकार को एक ही रात में उतावलेपन से काम हाथ में लेने का कोई कारण नहीं था । मस्जिद व्यवस्थापन समिति, इस आदेश के विरुद्ध कानूनन मार्ग अपना न सके, इसलिए सरकार से मिलीभगत कर किए जा रहे प्रयास इस हडबडी का कारण है ।’’
सामान्य भक्तों के लिए तलघर में दर्शन की अनुमति
न्यायालय के आदेश के उपरांत ३१ जनवरी की रात को ही वाराणसी के जिला प्रशासन ने ज्ञानवापी के व्यासजी तलघर में हिन्दू पक्षकारों के लिए पूजा करने की व्यवस्था की । अब सामान्य भक्तों के लिए भी तलघर में जाकर, देवताओं का दर्शन करने के लिए व्यवस्था आरंभ है । इस कारण काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए आनेवाले भक्त ज्ञानवापी के व्यास तलघर में जाकर भी देवताओं के दर्शन कर रहे हैं ।
शुक्रवार को दर्शन एवं नमाजपठन दोनों आरंभ
२ फरवरी को शुक्रवार होने से मुस्लिमों को सदा की भांति नमाजपठन के लिए ज्ञानवापी के परिसर में अनुमति दी गई थी । उसी समय यहां के व्यासजी तलघर में हिन्दुओं के लिए भी दर्शन की व्यवस्था की गई थी । दोनों बातें समांतर की जा रही थी । इस समय बडी मात्रा में पुलिस बंदोबस्त रखा गया था । हिन्दुओं को पूजा करने की अनुमति दी गई, इसलिए यहां के मुस्लिमों ने २ फरवरी को अपनी दुकानें बंद रखकर निषेध किया ।
व्यास तलघर नहीं, अपितु ‘ज्ञान तालगृह’ !
ज्ञानवापी के व्यासजी तलघर में पूजा आरंभ होने के उपरांत काशी के संत समाज के साथ ही काशी विद्वत परिषद के विद्वानों ने भी पूजा की । काशी विद्वत परिषद ने इस तलघर का ‘ज्ञान तालगृह’ इस प्रकार नया नामकरण किया है । उन्होेंने कहा, ‘‘वह तलघर नहीं, अपितु अब वह ज्ञान तालगृह के रूप में पहचाना जाएगा ।’’ अखिल भारतीय संत समिति ने भी यह स्वीकार किया ।
संपादकीय भूमिकाज्ञानवापी में पहले से ही हिन्दू मंदिर था एवं वहां वर्ष १९९३ के पूर्व से ही पूजा हो रही थी, यह बात विश्वप्रसिद्ध है । ऐसा होते हुए भी मुस्लिम अपना दावा छोडते नहीं हैं । इससे उनको सर्वधर्मसमभाव दिखाना नहीं है, यही पुनः स्पष्ट होता है, यह बात तथाकथित निधर्मीवादी एवं पुरो(अधो)गामियों को ध्यान में लेनी चाहिए ! |