Puja Started At Gyanvapi : ज्ञानवापी के ‘व्यास’ तलघर में रात्रि से पूजा-अर्चना प्रारंभ !

वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – यहां ज्ञानवापी क्षेत्र के व्यासजी तलघर में जिला न्यायालय के आदेश के उपरांत ३१ वर्ष में पहली बार पूजा प्रारंभ की गई। ३१ जनवरी को न्यायालय द्वारा संध्या लगभग ४ बजे पूजा करने का आदेश दिए जाने के उपरांत, जिला जिलाधीश द्वारा पूजा की व्यवस्था करने के उपरांत, रात्रि लगभग ११ बजे पूजा तथा शयन आरती की गई । तलघर में मूर्ति रखकर पूजा की गई । दीप जलाकर श्री गणेश एवं लक्ष्मी देवी की आरती की गई। तलघर की भीत पर त्रिशूल सहित अन्य धार्मिक प्रतीकों की भी पूजा की गई । तलघर के मार्ग में लगाए गए अवरोधों और लोहे की बाड को हटा दिया गया है ।

इस संबंध में हिन्दू पक्षकारों के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने कहा कि न्यायालय ने इस तलघर में मूर्तियों की पूजा तथा आरती की व्यवस्था करने के लिए प्रशासन को ७ दिन का समय दिया था; किन्तु कुछ ही घंटों में प्रशासन द्वारा व्यवस्था करने के उपरांत पूजा तथा आरती की गई।

हिन्दू पक्ष एक दिन में ५ बार करेंगे आरती !

अभी की स्थिति में सामान्य नागरिकों को यहां दर्शन-पूजन की अनुमति नहीं है । प्रशासन की ओर से केवल हिन्दू पक्षकारों को ही पूजा तथा आरती करने की अनुमति दी है ।

रातों-रात बनाई गई ये व्यवस्था!

वाराणसी जिला न्यायालय ने ३१ जनवरी को संध्या लगभग ४ बजे पूजा करने का आदेश दिया था । इसके उपरांत जिलाधीश एस. राजलिंगम संध्या सात बजे पुलिस तथा प्रशासनिक अधिकारियों के साथ काशी विश्वनाथ धाम पहुंचे । जिलाधीश तथा अपर जिलाधीश ने मंदिर प्रशासन के साथ बैठक की । रात्रि आठ बजे अधिकारियों ने ज्ञानवापी के तलघर का बाहर से निरीक्षण किया । काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड उमडने के उपरांत रात्रि ९ बजे प्रशासन ने प्रवेश द्वार क्र.४ से लोगों का प्रवेश बंद कर दिया । श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्वी भाग में लगे अवरोध (बाड) को हटाने का काम कडी सुरक्षा में करीब साढे नौ बजे प्रारंभ हुआ । एक घंटे के अंदर सभी बाधाएं दूर हो गईं । इसके उपरांत काशी विश्वनाथ न्यास के कर्मचारियों ने व्यास तलघर की स्वच्छता की । न्यास की ओर से पूजन सामग्री को तलघर में लाया गया । न्यास के ५ पुजारियों को बुलाया गया । इसके उपरांत प्रार्थना की गई । पूजा की अवधि में वाराणसी के आयुक्त, काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड तथा पंडित ओमप्रकाश मिश्रा तलघर में उपस्थित थे । श्रीगणेश्वर शास्त्री द्रविड के नेतृत्व में विश्वनाथ मंदिर के पुजारी ओमप्रकाश मिश्र ने पूजा करायी । ओमप्रकाश मिश्र काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह के पुजारी हैं । पूजा के उपरांत कुछ लोगों को चरणामृत तथा प्रसाद भी दिया गया । गणेश्वर शास्त्री द्रविड ने कलश स्थापना की । मंत्रोच्चार के उपरांत श्री गौरी, श्री गणेश और श्री लक्ष्मी देवी का आह्वान किया गया । पुराधिपति के आंगन में सभी देवताओं का स्मरण एवं पूजा की गई । देवताओं को प्रसाद तथा फल अर्पण कर आरती की गई । वाराणसी के जिलाधीश एस. राजलिंगम ने कहा, मैंने न्यायालय के आदेश का पालन किया ।

तलघर में काशी विश्वनाथ का मंदिर है ! – जितेंद्र नाथ व्यास

भगवान की पूजा और आरती करने का अधिकार पाकर हमे बहुत आनंद हो रहा है ।’ हमने ज्ञानवापी के तलघर में पूजा की । इस अवसर पर हमारे परिवार के सदस्य तथा ५ पुजारी उपस्थित थे । आयुक्त भी उपस्थित रहे । व्यास परिवार के जितेंद्र नाथ व्यास ने बताया कि हमने सभी की उपस्थिति में तलघर में पूजा तथा आरती की । उन्होंने आगे कहा कि तलघर में काशी विश्वनाथ का मंदिर है । यह एक स्वयंभू मंदिर था और रहेगा । यदि आप इसे ढक भी दें तो भी यह एक मंदिर ही है । दीवारों पर स्वास्तिक तथा कमल की आकृतियां हैं । यह एक हिन्दू मंदिर है ।

(और इनकी सुनिए ….) ‘न्यायालय का निर्णय त्रुटिपूर्ण है !’- असदुद्दीन ओवैसी

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि न्यायाधीश द्वारा लिया गया निर्णय पूर्णत: त्रुटिपूर्ण है । यह ‘धार्मिक पूजा स्थल अधिनियम १९९१’ का उल्लंघन है । ३० वर्ष उपरांत मस्जिद के तलघर में पूजा करने की अनुमति दी गई है । वहां मूर्तियां कहां हैं ? मूर्ति किसने देखी ?

यहां ‘६ दिसंबर’ (बाबरी विध्वंस) की पुनरावृत्ति हो सकती है । श्रीराम मंदिर प्रकरण का निर्णय सुनाते समय हमने कहा था कि हमने आस्था के आधार पर निर्णय सुनाया है । अब ये बातें आगे भी चालू रहने वाली हैं । व्यवस्था समिति को चुनौती देने के लिए आपको ३० दिन का समय मिला था । अब व्यवस्था समिति इस त्रुटिपूर्ण निर्णय के विरुद्ध इलाहाबाद उच्च न्यायालय में निवेदन कर सकती है ।

मुस्लिम पक्ष ने हिन्दू पक्ष के पूजा के अधिकार को निलंबित करने की मांग की !

ज्ञानवापी प्रकरण में मुस्लिम पक्षकार अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने जिला न्यायालय में निवेदन प्रस्तुत किया है । उसमें हिन्दू पक्ष को दिया गया पूजा का अधिकार निलंबित किया जाए और मुस्लिम पक्ष को अपना पक्ष रखने के लिए १५ दिन का समय दिया जाए । मुस्लिम पक्ष का कहना है कि ‘इसके माध्यम से हम अपना पक्ष और सशक्ता से रख पाएंगे ।’ इस पर सुनवाई करते हुए अपर जिला न्यायाधीश ने कहा कि अभी जिला न्यायाधीश का पद रिक्त है, उनकी नियुक्ति के उपरांत ही अगली सुनवाई होगी ।

संपादकीय भूमिका 

क्या ओवेसी यह भी कहेंगे कि वर्ष १९९३ में तत्कालीन सरकार के मौखिक आदेश पर १५५१ से यहां चल रही पूजा बंद करना त्रुटिपूर्ण था ?