अगले ढाई वर्ष तक श्री रामलला की प्राणप्रतिष्ठा हेतु शुभ मुहूर्त नहीं है !
वाराणसी के गणेश्वर शास्त्री द्रविडजी ने बताया गणित !
अयोध्या में होनेवाली श्री रामलला की प्राणप्रतिष्ठा की तिथि पर विभिन्न लोग आपत्ति जता रहे हैं । इस संदर्भ में वाराणसी के गणेश्वर शास्त्री द्रविडजी ने इसका गणित बताकर प्राणप्रतिष्ठा हेतु २२ जनवरी २०२४ का दिन ही कैसे उचित है, यह बताया है । वे कहते हैं, पहले लोगों के द्वारा दिए गए शुभ मुहूर्त में कोई तो अभाव होता था, उसके कारण मंदिर गिराए गए । २२ जनवरी के ढाई वर्ष उपरांत तक श्रीराम मंदिर के उद्घाटन हेतु शुभ दिवस नहीं है ।
द्रविडजी ने ज्योतिषशास्त्रीय भाषा में विषय बताते हुए यह स्पष्ट किया कि
२२ जनवरी २०२४
इस दिन पौष शुक्ल द्वादशी, सोमवार, मृगशीर्ष नक्षत्र के दिन सर्वोत्तम शुभ मुहूर्त है । इसीलिए यह दिन चुना गया है ।
२५ जनवरी २०२४
पौष पूर्णिमा के दिन मृत्यु बाण है । लोगों की प्रतिष्ठा यदि बाण में हो, तो वह मर सकती है । माघ-फाल्गुन में कुछ स्थानों पर बाणों की शुद्धि दिखाई नहीं देती तथा कुछ स्थानों पर तिथियों की शुद्धि दिखाई नहीं देती । शुक्ल आदि में बृहस्पति कर्क राशि का अर्थात उच्च का नहीं है ।
१४ मार्च २०२४
इस दिन से खरमास (मीनार्क) है । उत्तर भारत में मीनार्क की अवधि में प्राणप्रतिष्ठा आदि शुभकार्य नहीं होते ।
९ अप्रैल २०२४
यह वर्षांरंभ है । उस दिन मंगलवार, वैधता एवं दुर्बल चंद्र दोष हैं ।
१७ अप्रैल २०२४
वर्ष २०२४ की अगली कुछ तिथियां : २४ अप्रैल को वैशाख कृष्ण प्रतिपदा का मृत्यु बाण है । ५ मई को बृहस्पति की वृद्धावस्था आरंभ हो रही है । ७ जुलाई को रविवार अर्थात यह रथयात्रा का दिवस है । १७ जुलाई से चातुर्मास्य है । जिन अन्य दिनों को शुभ मुहूर्त है, उनमें विजयादशमी (शनिवार, १२ अक्टूबर २०२४), साथ ही बलि प्रतिपदा (शनिवार, २ नवंबर २०२४) को बृहस्पति प्रतिगामी हैं । बृहस्पति के ३ फरवरी २०२५ तक पूर्वगामी होने के कारण इस शुभ मुहूर्त को बृहस्पति की शक्ति प्राप्त नहीं है ।
१० फरवरी २०२५
माघ शुक्ल त्रयोदशी अर्थात सोमवार १० फरवरी २०२५ को अग्निबाण है । पुनर्वसु नक्षत्र पाप है । आगे जाकर कहीं भी चंद्रशुद्धि नहीं है, पक्ष का कहीं भी शुद्धीकरण नहीं, कहीं भी शुद्ध नक्षत्र नहीं है तथा कहीं भी शुद्धता नहीं है ।
शेष वर्ष २०२५
बृहस्पति का शत्रु राशि में होने के कारण मुहूर्त में गुरुबाण का अभाव है ।
बृहस्पति २ जून २०२६ को कर्क राशि में अर्थात अपने उच्चस्थान में जाएंगे । उस समय कृष्ण पक्ष अधिक ज्येष्ठ होगा । १६ जून २०२६ से निज ज्येष्ठ शुक्ल आरंभ होनेवाला है ।
इस पर गणेश्वर शास्त्री कहते हैं, तब तक रुककर कौन शुभ मुहूर्त खोजेंगे ? अतः इन सभी सूत्रों पर विचार कर २२ जनवरी २०२४ को श्रीरामप्रतिष्ठा का मुहूर्त दिया गया है ।