श्रीराम की आलोचना करनेवालों पर कानूनन कठोर कार्रवाई के लिए ‘राम निंदा विरोधी कानून बनाएं ! – श्रीराम भक्‍तों की मांग

वाराणसी के हिन्‍दू राष्ट्र-जागृति महासभा में ‘पूजास्‍थान कानून’ रद्द करने की मांग !

वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – भगवान श्रीराम, श्रीराममंदिर, श्रीरामचरितमानस आदि आस्‍था स्‍थानों का सदा हो रहा अपमान रोकने के लिए ‘श्रीराम निंदाविरोधी कानून’ तुरंत लागू किया जाए, साथ ही भव्‍य श्रीराम मंदिर की भांति देश के काशी, मथुरा, भोजशाळा, कुतुबमीनार आदि धार्मिक स्‍थानों में हिन्‍दुओं को प्रवेश करने में आ रही अडचनें दूर करने के लिए ‘पूजास्‍थल कानून १९९१’ (प्‍लेसेस ऑफ वर्शिप १९९१) तुरंत रद्द करें, ऐसी मांग हिन्‍दू राष्ट्र-जागृति सभा में की गई । यहां के शास्त्री घाट पर हिन्‍दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित महासभा का आयोजन किया गया था । सभा के अंत में राज्‍य के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ, गृहमंत्री एवं कानून तथा न्‍याय मंत्री को यहां के जिला दंडाधिकारी के माध्‍यम द्वारा निवेदन दिया गया । इस समय भिन्‍न भिन्‍न हिन्‍दू संगठन, संस्‍था के पदाधिकारी, हिन्‍दू जनजागृति समिति के धर्मप्रसारक सद्गुरु नीलेश सिंगबाळ एवं समिति के श्री. राजन केशरी आदि उपस्‍थित थे ।

१. इस सभा में कहा गया कि ‘पूजास्‍थल कानून १९९१’ के अनुसार वर्ष १९४७ के पूर्व यदि किसी ने हिन्‍दू मंदिरों पर अतिक्रमण किया होगा, तो उसके विरुद्ध न्‍यायालय में किसी भी प्रकार का अभियोग प्रविष्ट नहीं हो सकेगा अथवा आवाहन नहीं कर सकते । इसके विरुद्ध ‘वक्‍फ बोर्ड’ को कोई भी भूमि अथवा संपत्ति ‘वक्‍फ संपत्ति’ के रूप में घोषित करने का पूरा अधिकार दिया गया है । एक प्रकार से ‘मुस्‍लिमों का लाभ एवं हिन्‍दुओं के लिए कानून’ इस प्रकार धार्मिक पक्षपाती कानून तत्‍कालीन कांग्रेस सरकार ने बनाए थे । केंद्र की मोदी सरकार को ये कानून रद्द करने चाहिए, ऐसी मांग इस समय की गई ।

२. उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडू इन राज्‍यों सहित पूरे देश में  ‘भगवान श्रीराम मांसाहार करते थे’ ऐसे अनेक आपत्तिजनक एवं आहत करनेवाले वक्‍तव्‍य निरंतर दिए जा रहे हैं । केवल प्रभु श्रीराम ही नहीं, अपितु धार्मिक ग्रंथ श्रीरामचरितमानस जलाने जैसे दुष्‍कृत्‍य हो रहे हैं । श्रीराममंदिर के स्‍थान पर फिर से  बाबरी निर्माण करने का सपना ओवैसी मुस्‍लिमों को दिखा रहे हैं । भगवान श्रीराम भारत के पूजनीय भगवान हैं । श्रीराम मंदिर में श्रीराम के विराजमान होते समय समाज के किसी भी व्‍यक्‍ति को भगवान श्रीराम का अपमान नहीं करना चाहिए, यह देखना प्रत्‍येक का कर्तव्‍य है । इस कानून का नाम भले ही ‘राम निंदाविरोधी कानून’ हो, पर अन्‍य किसी भी देवता का अपमान न हो, ऐसा प्रबंध उसमें करना चाहिए, ऐसी विनती इस सभा में की गई ।