Jaishankar On Canada : कनाडा की राजनीति में खालिस्तान का सहयोग होने से ही दोनों देशों के संबंध बिगड गए !
भारत के विदेशमंत्री डॉ. एस. जयशंकर का स्पष्ट कथन !
नई देहली – भारत के विदेशमंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने ए.एन.आइ. समाचार संस्था को साक्षात्कार देते समय कहा, ‘कनाडा की राजनीति में खालिस्तानी लोगों को बडी मात्रा में स्थान दिया गया है । इन लोगों को बडी मात्रा में छूट दी गई है । इस कारण वे ऐसे कृत्य कर रहे हैं, इसके कारण दोनों देशों के संबंध बिगड गए हैं । मुझे लग रहा है, यह न तो भारत, न ही कनाडा के हित में है ।’
Since #Khalistanis now are a part of the Canadian Political system, the relations between the two nations have deteriorated. – External Affairs Minister Dr. S. Jaishankar
– Will not discuss with #Pakistan on their terms.
– Dealing with #China according to Sardar Patel’s policy.… pic.twitter.com/Xg6FosOMOw— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) January 2, 2024
पाकिस्तान की शर्तों के आधार पर उनसे चर्चा नहीं करूंगा !
पाकिस्तान के संदर्भ में डॉ. जयशंकर ने कहा, ‘भारत पर चर्चा करने का दबाव डालने के लिए पाकिस्तान सीमापार आतंकवाद का उपयोग कर रहा है । हम अपने पडोसी देश से चर्चा नहीं करेंगे, ऐसा नहीं है; परंतु पाकिस्तान ने जो शर्तें रखी हैं, उनके आधार पर हम चर्चा नहीं करेंगे । हमें ज्ञात है कि एक पडोसी दूसरे की सहायता करता है, परंतु हम पाकिस्तान की शर्तों के आधार पर चर्चा नहीं करेंगे ।’
सरदार पटेल की नीति के अनुसार चीन से व्यवहार कर रहे हैं !
चीन के संदर्भ में डॉ. जयशंकर ने कहा, ‘नेहरू ने ‘चीन फर्स्ट’ की नीति से काम किया । नेहरू एवं सरदार पटेल, दोनों पहले से ही मतभेद में थे कि चीन को कैसे प्रत्युत्तर दिया जाए । मोदी सरकार चीन से निपटने के समय सरदार पटेल द्वारा आरंभ की गई यथार्थवाद की धारा के अनुसार काम कर रही है । जब तक ऐसे संबंधों को पारस्परिकता के आधार पर मान्यता प्राप्त नहीं होती, तब तक ऐसे संबंधों का विकसित होना कठिन है ।’
विश्व के अनेक देशों के नेताओं को भारत में सम्मिलित होना है !
‘क्या भारत स्वयं के विचार विश्व पर थोप रहा है ?’ इस प्रश्न का उत्तर देते हुए विदेशमंत्री डॉ. जयशंकर ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि हम अपने विचार किसी पर थोपते हों । भारत की ओर अधिक समर्पक दृष्टि से देखा जाता है । अनेक देशों के नेताओं को भारत में सम्मिलित होना है । ‘प्रधानमंत्री प्रति वर्ष विश्व के प्रत्येक देश का भ्रमण क्यों नहीं कर सकते ?’ संबंधित देशों को यह सूत्र स्पष्ट कर कहना, विदेशमंत्री के रूप में मेरे लिए यह एक बडी चुनौती है । सभी को लगता है कि मोदीजी को उनके देश का भ्रमण करना चाहिए ।