नेता और सच्चे संत, इनकी ओर देखने का जनता का दृष्टिकोण !
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘नेताओं के पास जब तक किसी दल में कोई पद होता है अथवा मंत्री पद जैसा सरकारी पद होता है, तब तक जनता उन्हें महत्व देती है; क्योंकि जनता को उनसे कुछ चाहिए होता है । उनका पद न रहने पर किसी को उनका नाम भी याद नहीं रहता । इसके विपरीत सच्चे संतों से जनता को कुछ नहीं चाहिए । उल्टे लोग सच्चे संतों को कुछ अर्पण करते हैं। उनके द्वारा बताई साधना करते हैं और साधना में प्रगति करते हैं ।
✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक