‘सनातन प्रभात’ की लेखनी !
विशेष संपादकीय
लोकमान्य टिळकजी के ‘केसरी’ का आदर्श सामने रखकर अग्रसर पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ विगत २४ वर्ष से हिन्दुओं पर हो रहे आघातों तथा अत्याचारों के विरुद्ध अत्यंत प्रखरता से अनवरत संघर्ष कर रहा है । विगत २४ वषों में हमने भिन्न-भिन्न काल अनुभव किए । पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ की लेखनी के माध्यम से राष्ट्र-धर्म के हो रहे कार्य का जब-जब गौरव हुआ, तब यह लेखनी स्थिर हुई तथा कठिन काल में भी अपनी प्रखर ध्येयनिष्ठा के कारण अविचल रही ! भगवान के धर्मसंस्थापना के कार्य में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ की यह लेखनी इस आपातकाल में भी भगवान के चरणों में अपने शब्दसुमन अर्पित कर रही है तथा उन्हीं के कृपाशीर्वाद से आनेवाले समय में भी करती रहेगी !
सत्यान्वेषी लेखनी !
विगत २४ वर्ष में पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ ने भिन्न-भिन्न काल का अनुभव किया । ‘सनातन प्रभात’ की स्थापना के समय ही हमने यह स्पष्ट किया था कि एक आध्यात्मिक संस्था को पत्रकारिता के क्षेत्र में उतरने की स्थिति आ गई है, केवल राष्ट्र की दुर्दशा के कारण ! राष्ट्र एवं धर्म जागरण का एक महान ध्येय रखकर सेवाभावी साधकों ने पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ आरंभ किया । इसमें किसी भी प्रकार का व्यावसायिक उद्देश्य नहीं था । आरंभिक काल में ‘सनातन प्रभात’ के संस्थापक-संपादक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी ने कहा था, ‘अभी आपको कदाचित समाचार मिलने में समस्याएं आती होंगी; परंतु एक दिन ऐसा आएगा कि हम ही समाचार बनेंगे ।’ त्रिकालदर्शी संतों के वचन का अब हम अक्षरशः अनुभव कर रहे हैं । एक समय तो तत्कालीन हिन्दूद्वेषी कांग्रेस की सरकार ने ऐसी स्थिति उत्पन्न कर दी थी कि ‘क्या अब ‘सनातन प्रभात’ पर प्रतिबंध लग जाएगा ?’ उस समय ‘सनातन प्रभात’ के तत्कालीन संपादक को बिना किसी कारण कारागार भी जाना पडा । सत्यान्वेषी एवं स्पष्ट ‘सनातन प्रभात’ पर भावनाएं भडकाने के आरोप भी लगे; परंतु इन सभी संकटों से निखरकर बाहर निकले ‘सनातन प्रभात’ के ‘ऑनलाइन’ के पाठक प्रतिदिन बढते ही जा रहे हैं । हमने पहले से ही पारदर्शी पत्रकारिता की तथा उसके कारण ही हमने ‘सनातन प्रभात’ की सेवा करनेवाले साधकों की चूकें भी नियतकालिकों में प्रकाशित की । इसी भावना से हमने हिन्दुओं के लिए काम करनेवाले प्रत्येक घटक की ओर देखने का प्रयास किया । ‘त्यागी, निःस्पृह एवं चूकरहित चलनेवाली धर्माधारित राष्ट्रव्यवस्था ही आदर्श हो सकती है’, यह सनातन परंपरा का अलौकिक गौरवशाली इतिहास है । ‘सनातन प्रभात’ को राष्ट्र के इस गौरवशाली इतिहास का सेवक बनना है । ‘सनातन प्रभात’ की लेखनी किसी भी राजनीतिक दल के अधीन नहीं है तथा वह केवल और केवल इस जगत के एकमात्र ‘सत्य’ भगवान के चरणों के अधीन है । यही इस लेखनी की शक्ति है । उसके कारण ही हिन्दुओं पर होनेवाले प्रत्येक अन्याय तथा आघात को स्पष्टता से बताने का उसमें साहस है ।
हिन्दू राष्ट्र-संकल्पना की नींव !
आज समाज के समाचारपत्र एक प्रकार से बडे व्यावसायिक प्रतिष्ठान होते हैं । ‘सनातन प्रभात’ आर्थिक हानि सहकर, साथ ही विगत २४ वर्ष में एक भी छुट्टी लिए बिना भगवान की कृपा से अविरत कार्यरत है । आज समस्त विश्व के मनुष्य के समाजजीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सैकडों समस्याएं हैं । यह संघर्ष युगों-युगों से चल ही रहा है; कुछ लोगों का संघर्ष स्वार्थ के लिए है, तो कुछ लोगों का संघर्ष स्वार्थी लोगों के इस जगत में निःस्वार्थभाव से जीवन जीने के लिए है ! मनुष्य के व्यक्तिगत जीवन की समस्याओं एवं दुखों से लेकर उसके समष्टि जीवन के प्रत्येक कदम पर होनेवाले संघर्ष तक की प्रत्येक समस्या के उत्तर सनातन परंपरा के आधारस्तंभ ‘अध्यात्म’ में मिलते हैं । आर्य चाणक्य के ‘राष्ट्रस्य मूलं इंद्रियनिग्रहः ।’ (राष्ट्र का मूल (सफलता) इंद्रियों को नियंत्रण में रखने में अर्थात अध्यात्म में है ।), इस वचन को ध्यान में रखा जाए, तो ‘धर्म ही राष्ट्र की नींव है’ तथा धर्माधिष्ठित राष्ट्र ही प्रजा को सुखी रख सकता है । इसीलिए आज के समय में राष्ट्र में स्थित ‘गरीबी से लेकर बेरोजगारी तथा जनसंख्यावृद्धि तक’, ‘नक्सलवाद से लेकर आतंकवाद तक’, ‘महिलाओं पर होनेवाले अत्याचारों से लेकर भ्रष्टाचार तक’, साथ ही हिन्दुओं पर होनेवाले सभी प्रकार के आघातों का उत्तर धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र में है ।
यहां हिन्दू राष्ट्र राजनीतिक दृष्टि से अपेक्षित नहीं है, अपितु वह रामराज्य की भांति एक ‘आदर्श समाजव्यवस्था’ है । समाज में इससे संबंधित विचारों की नींव विगत २४ वर्ष से ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक समूह रख रहा है । इस कारण आज देश में चर्चा का विषय बने ‘हिन्दू राष्ट्र’ की संकल्पना की नींव २४ वर्ष पूर्व ‘सनातन प्रभात’ ने ही रखी है’, ऐसा कहना अनुचित नहीं होगा । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना केवल हिन्दुओं की वंशरक्षा के लिए तथा अहिन्दुओं के सभी प्रकार के आघातों से हिन्दुओं को बचाने के लिए ही नहीं, अपितु उससे भी आगे जाकर एक उच्चतम आदर्श समाज का निर्माण करने के लिए भी है । राष्ट्र की प्रशासनिक व्यवस्था का आदर्श उसके त्यागी, विद्वान, नेतृत्वकुशल एवं ध्येयनिष्ठ प्रशासक में होता है । आज शिक्षा, रक्षा, व्यापार, अर्थ, प्रौद्योगिकी, निर्माण, कृषि, यात्रा, कानून आदि सभी क्षेत्रों में एक आदर्श व्यवस्था स्थापित होने की आवश्यकता प्रत्येक राष्ट्रप्रेमी को प्रतीत हो रही है । इस आदर्श व्यवस्था को तैयार करने का मूल सनातन धर्म के संस्कारों में है । ‘सनातन प्रभात’ उसी का उद्घोष कर समाज को स्वयं आदर्श जीवन जीने का तथा आदर्श राष्ट्र बनाने का सारगर्भ अचूकता से बता रहा है । मनुष्यजीवन के ‘ईश्वरप्राप्ति’ के मूल उद्देश्य को जानकर साधना करना आरंभ किया, तो उससे आदर्श राष्ट्रनिर्माण हेतु आवश्यक संयमित; परंतु कर्तृत्ववान प्रजा की निर्मिति संभव है । पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ यही निश्चित मार्ग दिखा रहा है । इसीलिए ‘सनातन प्रभात’ ‘हिन्दू राष्ट्र-स्थापना’ के कार्य में व्यापक वैचारिक योगदान देकर उसकी स्थापना करनेवाली पीढी की रचना करनेवाला नियतकालिक है । कलियुगांतर्गत कलियुग के धर्मसंस्थापना के, अर्थात आनेवाले समय के हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के इतिहास में ‘सनातन प्रभात’ का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा ।
ईश्वर ने हमें उनके कार्य में अपनी क्षमता के अनुसार योगदान देने का अवसर दिया; इसके लिए ‘सनातन प्रभात’ के कार्य में समर्पित हम सभी उनके चरणों में कृतज्ञ हैं । राष्ट्ररक्षा एव धर्मजागृति का व्रत लिए ‘सनातन प्रभात’ इसी प्रकार अग्रसर रहे, यही ईश्वर के चरणों में प्रार्थना है !