श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर निर्माण की गई शाही ईदगाह मस्जिद का होगा सर्वेक्षण ! – इलाहाबाद उच्च न्यायालय का आदेश ।

हिन्दू पक्षकारों ने की थी याचना !


प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) – इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर ईदगाह मस्जिद के सर्वेक्षण का आदेश दिया । इसके लिए ´न्यायालय आयुक्त´ (‘कोर्ट कमिश्नर’) नियुक्त किए जाएंगे । इस प्रकरण पर १८ दिसंबर को सुनवाई होगी । उस समय सर्वेक्षण करने वालों में कौन और कितने लोग होंगे, कितने दिनों में सर्वेक्षण पूर्ण करेंगे, आदि बिंदु निश्चित किए जाएंगे । हिन्दू पक्ष ने ३ वर्ष पूर्व न्यायालय में याचिका प्रविष्ट कर शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वेक्षण की याचना की थी । हिन्दू पक्षकारों के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने सूचित किया कि माननीय न्यायालय ने उक्त आदेश दिया है ।

(सौजन्य : India Today) 

१. उच्च न्यायालय ने इस संबंध में याचिका पर १६ नवंबर को सुनवाई के उपरांत अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था । इस स्थान के संबंध में १८ में से कुल १७ याचिकाओं पर सुनवाई हुई । इन सभी याचिकाओं को सुनवाई के लिए मथुरा जिला न्यायालय से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था । इनमें से एक याचिका ‘न्यायालय आयुक्त’ को भेजी गई है ।

२. इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मयंक जैन ने एक-एक करके १७ याचिकाओं पर सुनवाई की । इनमें से एक याचिका में एक पक्ष ने मंदिर के पौराणिक पक्ष को सामने लाते हुए कहा कि मथुरा का मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र ने बनवाया था । मंदिर के लिए भूमि दान की । इसलिए भूमि के स्वामित्व का कोई विवाद नहीं है । मंदिर को अवैध रूप से ध्वस्त कर शाही ईदगाह मस्जिद निर्माण करने का विवाद है । राजस्व अभिलेखों में यह भूमि आज भी ‘केशव देव के धाम’ के रूप में लिखित है ।

३. इस प्रकरण में मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई एवं विवाद प्रस्तुत किया कि याचिका अनुचित है । शाही ईदगाह मस्जिद तथा ‘उत्तर प्रदेश सेंट्रल वक्फ बोर्ड’ के अधिवक्ताओं ने न्यायालय में आपत्ति पत्र दिया है । उन्होंने कहा कि यह याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है, इसलिए इसे निरस्त किया जाना चाहिए ।

वर्ष १९६८ में निकाला गया था समाधान !

१२ अक्तूबर १९६८ को श्रीकृष्ण जन्मभूमि एवं शाही ईदगाह प्रकरण में समाधान निकाला गया था । ‘श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संघ’ एवं ‘श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट’ की सहयोगी संस्था एवं शाही ईदगाह के मध्य हुए अनुबंध में अनुमानित १३.३७ एकड भूमि में से २.३७ एकड भूमि, शाही ईदगाह के लिए आवंटित की गई थी; किंतु इस सहमति के उपरांत ‘श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संघ’ भंग कर दिया गया । हिन्दू पक्ष उस सहमति को अवैध कह रहा है । हिन्दू पक्ष के अनुसार श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संघ को चर्चा करने का कोई अधिकार नहीं था ।