Veer Savarkar: वीर सावरकर, एक द्रष्टा हिन्दूसंगठक ! – सुनील घनवट, हिन्दू जनजागृति समिति
वीर सावरकर युवा विचार मंच, केडगाव (जिला पुणे) द्वारा आयोजित ‘वीर सावरकर’ व्याख्यानमाला !
पुणे, १० दिसंबर (वार्ता.) – हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ संगठक श्री. सुनील घनवट ने प्रतिपादन किया है कि वीर सावरकर को क्रांतिकारी, साहित्यकार, कवि, हिन्दू हृदयसम्राट, इस प्रकार अनेक रूपों में पहचाना जाता है; परंतु आजकल के नेता उनका अपमान करने में लिप्त हैं । कर्नाटक के प्रियांक खडगे विधानसभा में स्थित सावरकरजी का चित्र हटाने की बात बोल रहे हैं, तो मणिशंकर अय्यर अंदमान में उनके लिखे वचन हटा देते हैं । कांग्रेस के राहुल गांधी सावरकरजी को ‘माफीवीर’ कहते हैं; परंतु राहुल गांधी ने भिवंडी न्यायालय में क्षमा मांगी थी, यह वे भूल जाते हैं । मार्सेलिस की ८ जुलाई १९१० की ऐतिहासिक छलांग के विषय में हुसेन दलवाई कहते हैं, ‘यह कौन सी बडी बात हो गई ?’ पूरा यूरोप एवं ब्रिटिश साम्राज्य को सदमा पहुंचानेवाली छलांग के विषय में तथा कुल मिलाकर सावरकरजी के जीवन के विषय में इतनी बडी मात्रा में अनादर एवं अपमान होते हुए दिखाई देते हैं, उसी में उनका बडप्पन छुपा है ।’ श्री. सुनील घनवट, वीर सावरकर युवा विचार मंच, केडगाव, पुणे द्वारा आयोजित ‘वीर सावरकरजी का हिन्दू संगठन’ विषय पर ऐसा बोल रहे थे । ऑनलाईन प्रणाली के माध्यम से वीर सावरकरजी के सहस्रों पहलू दर्शानेवाली व्याख्यानमाला का यह एकादश व्याख्यान-पुष्प था ।
हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ संगठक श्री. सुनील घनवट के व्याख्यान के अन्य महत्त्वपूर्ण सूत्र
१. अतिशय निर्भय, शीघ्र उत्तर देना, राष्ट्रप्रेमी एवं प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ, ऐसा उनका व्यक्तित्व था । उनके द्वारा लिखित वाङ्मय एवं कविताओं को चमत्कार कहना पडेगा ।
२. पूरा दिन कोल्हू खींचकर अचेत होने तक शारीरिक तथा मानसिक दृष्टि से थक जाने के उपरांत, भीत पर नुकीली वस्तु से काव्य कुरेदना एवं ११ वर्षों के उपरांत पुनः स्मरण कर उसे लिखना, यह केवल विस्मयकारक है । उन्हें राष्ट्रभाषा के प्रति जाज्वल्य अभिमान था । विदेशी भाषा के लिए समान शब्द देने का बहुमूल्य कार्य उन्होंने किया ।
३. जबतक देश का सैन्यीकरण नहीं होता, तबतक स्वतंत्रता टिकेगी नहीं, यह बात उन्होंने वर्ष १९३७ में ही कही थी; इसीलिए उन्हें सशस्त्र क्रांति के प्रवर्तक के रूप में पहचाना जाता है ।
४. भारत के विभाजन के पश्चात पाकिस्तान के सैनिक भारत की सीमा में घुसकर अचानक आक्रमण करते थे, लोगों को मार डालते थे, तब एक बार मेजर जनरल परांजपे के साथ बातचीत करते हुए सावरकरजी ने कहा, ‘हमारी सेना को कभी तो भूल से लाहोर तक जाने दें, एवं लाहोर ही नियंत्रित करें ।’
५. ‘धर्मांतरण अर्थात राष्ट्रांतरण’, सावरकरजी का ऐसा दृढ मत था । आज भारत में प्रतिवर्ष १८ लाख से अधिक हिन्दू ईसाई धर्म स्वीकार कर रहे हैं । अंडमान में रहते हुए ‘किसी के स्पर्श करने से धर्म परिवर्तित नहीं होता, हमारा धर्म इतना निर्बल नहीं है,’ ऐसा सावरकरजी ने दृढता से कहा एवं कारागार के हिन्दू बंदियों के धर्मांतरण को रोका । परंतु आज जालंधर में विश्व का सबसे बडा द्वितीय चर्च निर्माण किया गया है । लाखों सिक्ख बांधव धर्मांतरित हुए हैं । उनको ‘पगडीवाला ईसाई’ कहा जाता है । वहां खालिस्तानी अभियान जोर पकड रहा है, तो आदिवासी क्षेत्र में ‘भिल टायगर सेना’ मांग कर रही है कि हम हिन्दू नहीं हैं, हमें एक अलग भिल स्थान दें ।
६. पुनः एक बार देश विभाजन के मार्ग पर खडा है । इसीलिए सावरकरजी ने कहा था कि जबतक भारत का अंतिम मुसलमान पाकिस्तान नहीं जाता एवं अंतिम हिन्दू भारत नहीं लौटता, तबतक वास्तविक विभाजन नहीं होगा । यह कितना दूरगामी द्रष्टापन !
७. यदि सावरकरजी के विचारों से चलते, तो हम ५० वर्ष पूर्व ही स्वतंत्र हुए होते एवं आज महासत्ता बन गए होते । सावरकरजी की उपेक्षा करने के कारण ही आज प्रत्येक नगर में मिनी पाकिस्तान निर्माण हुआ है ।
८. जो देश अपना भूतकाल भूल जाता है, उसका भविष्य संकट में होता है । यदि अखंड हिन्दुस्थान चाहिए, तो इतिहास भूलने से काम नहीं चलेगा । १० लाख हिन्दुओं की हत्या होने पर ही भारत का विभाजन हुआ । इसके उपरांत भी वर्ष १९८९ में लाखों कश्मीरी पंडितों को अपने ही घरों से केवल पहने हुए वस्त्रों में निर्वासित होना पडा ।
९. अपने अधिकार के राष्ट्र के लिए हमें प्रयास करने चाहिए । हमारा (देश का) विभाजन धर्म के आधार पर हुआ है; इसीलिए यह देश हिन्दू राष्ट्र बनना चाहिए । आज राजनीतिक दृष्टि से अनुकूल स्थिति है; परंतु धर्म की दृष्टि से देश के स्तर पर प्रयास करना, साथ ही जनआंदोलन करने की आवश्यकता है ।
१०. यदि हिन्दू राष्ट्र हुआ, तो धर्मांतरण, लव जिहाद, गोहत्या आदि सर्व समस्याएं नष्ट हो जाएंगी । संत, शंकराचार्य सभी कहते हैं कि वर्ष २०२५ में निश्चित ही हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी ! एक ओर योगी ने हलाल जिहाद को जड से उखाड फेंकना आरंभ किया है । हम सभी को अपना धन, शरीर, समय, कुशलता का अपने अनुसार योगदान देना चाहिए । न्यूनतम हिन्दू राष्ट्र के लिए प्रार्थना तो कर ही सकते हैं । आध्यात्मिक अधिष्ठान रखकर प्रयास करेंगे । तदुपरांत सावरकरजी के स्वप्न का हिन्दू राष्ट्र दूर नहीं !