Racism : ब्रिटेन में ४० प्रतिशत भारतीय डॉक्टर्स को वर्णद्वेषी (नस्लवादी) व्यवहार का सामना करना पड रहा है ! – शोध का निष्कर्ष
लंदन (ब्रिटेन) – ब्रिटेन में अनुमान से ४० प्रतिशत भारतीय डॉक्टर्स को वर्णद्वेषी (नस्लवादी) एवं भेदभावपूर्ण व्यवहार का सामना करना पड रहा है, एक शोध द्वारा यह जानकारी सामने आई है । इसके अतिरिक्त इन डॉक्टर्स पर सहयोगियों द्वारा झूठे परिवाद एवं शारीरिक आक्रमण भी हो रहे हैं । रोगी भारतीय डॉक्टर्स से उपचार लेने को तैयार नहीं हैं, उनकी योग्यता एवं क्षमता के विषय में संदेह व्यक्त कर रहे हैं । ब्रिटेन में लगभग ३५ सहस्र भारतीय डॉक्टर्स एवं परिचारिकाएं कार्यरत हैं, जो विदेशी डॉक्टर्स में सबसे बडी संख्या है । ब्रिटिश मेडिकल एसोसिएशन के अनुसार काम पर वर्णद्वेष (नस्लवाद) का अनुभव करने वाले ७० प्रतिशत से अधिक लोग इसकी रिपोर्ट नहीं करते हैं ।
१. विदेश में प्रशिक्षण लिए हुए २ सहस्र से अधिक भारतीय डॉक्टर्स पर किए गए शोध के अनुसार काम के स्थान पर प्रतिदिन वर्णद्वेष (नस्लवाद) की घटनाएं हो रही हैं । अधिकांश डॉक्टर्स वर्णद्वेष (नस्लवाद) के शिकार हो रहे हैं; परंतु रिपोर्ट करना टाल रहे हैं; क्योंकि उनको लगता है कि किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जाएगी ।
२. इस संदर्भ में भारतीय उच्चायुक्तालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम भारतीय डॉक्टर्स के विरुद्ध वर्णद्वेष (नस्लवाद) की रिपोर्ट गंभीरता से लेते हैं । कुछ दिन पूर्व ही यह हमारे ध्यान में आया है तथा हम इसे ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा के (‘एन.एच.एस.’) सर्वोच्च अधिकारियों के समक्ष यह सूत्र प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहे हैं ।
३. राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा के १ लाख २३ सहस्र डॉक्टर्स एवं परिचारिकाओं में से लगभग ४० प्रतिशत भारतीय हैं ।
संपादकीय भूमिकाइस संदर्भ में भारत सरकार को ब्रिटेन एवं वहां के वर्तमान भारतीय वंश के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को ये घटनाएं रोकने के लिए कहना अपेक्षित है ! |