ASI Temples : भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के नियंत्रण वाले सहस्रों मंदिरों में पूजा-अर्चना की अनुमति दी जाए !
संसदीय समिति ने भेजी केंद्र सरकार को अधिसूचना
नई देहली – परिवहन एवं स्मारकों पर संसदीय समिति ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि वर्तमान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (‘ए.एस.आई.’) की देखरेख में पूरे देश के सहस्रों मंदिरों एवं अन्य धार्मिक स्थलों में पुन: पूजा-अर्चना प्रारंभ करने की अनुमति दी जाए । यह समिति वाई.एस.आर.कांग्रेस सांसद वी. विजय साई रेड्डी की अध्यक्षता में कार्यरत है । समिति ने ‘भारत में संरक्षित स्मारक एवं स्मारकों के संरक्षण’ पर अपने प्रतिवेदन में यह परामर्श दिया, जिसे ६ दिसंबर २०२३ को संसद में प्रस्तुत किया गया है ।
१. समिति के अनुसार, देश के विभिन्न भागों में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (‘ए.एस.आई.’) के नियंत्रण में संरक्षित स्मारक अथवा मंदिर हैं, जिनके प्रति लोगों में अपार आस्था है । ऐसी स्थिति में उन्हें पूजा-अर्चना से वंचित रखना अनुचित है । श्रद्धालुओं को पूजा अनुष्ठान का अधिकार प्रदान करने से उनकी इच्छा पूरी होगी ।
२. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के संरक्षण एवं नियंत्रण में बडी संख्या में स्मारक (मंदिर, मस्जिद एवं दरगाह) हैं, जहां वर्तमान में पूजा की अनुमति नहीं है । इसके पीछे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का एक नियम है एवं इस नियम के अनुसार वर्तमान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग केवल उन स्मारकों (जिनमें बडी संख्या में मंदिर सम्मिलित हैं) में पूजा की अनुमति देता है जहां ए.एस.आई. को उत्तरदायित्व प्राप्त होने तक मंदिर में पूजा अनुष्ठान हो रहा था ।
३. उदाहरण के लिए, ए.एस.आई. द्वारा संरक्षित लाल किले के अंदर मोती मस्जिद में मुसलमान प्रार्थना कर सकते हैं; किंतु गुजरात के सिद्धपुर स्थित रुद्र महालय मंदिर में पूजा नहीं की जा सकेगी । इसी प्रकार तमिलनाडू के महाबलीपुरम में विजय चोलेश्वरम मंदिर एवं कुछ अन्य धार्मिक स्थानों पर भी पूजा अनुष्ठान की अनुमति नहीं है ।
४. कुछ स्मारकों में पूजा की अनुमति प्रदान नहीं की जा सकती. ए.एस.आई. का कहना है कि वह इन जीर्ण-शीर्ण स्मारकों की सुरक्षा के लिए ऐसा कर रहा है ।
५. ए.एस.आई. के नियंत्रण वाले मंदिर अथवा अन्य धार्मिक स्थान, जहां पूजा नहीं होती, उन्हें पुन: – अनुमति नहीं दी जाएगी । अब इस समिति ने पर्यटन मंत्रालय से इस पर काम करने को कहा है । पर्यटन मंत्रालय ने भी कहा है कि इस परामर्श पर गंभीरता से कार्य करेगा ।
६. एक प्रतिवेदन के अनुसार ए.एस.आई. वर्तमान में देश में ३ सहस्र ६९३ स्मारकों का रखरखाव कर रहा है । इनमें से २ सहस्र८७३ में पूजा-प्रार्थना नहीं होती; किंतु अनेक स्थानों पर इन धार्मिक स्थलों से स्थानीय लोगों की आस्थाएं जुडी हुई हैं, इसलिए यहां पूजा की अनुमति देने की मांग की गई है ।
७. जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में ८वीं शताब्दी में निर्मित मार्तंड सूर्य मंदिर में ए.एस.आई. द्वारा पूजा की अनुमति नहीं देना इसका एक प्रमुख उदाहरण है गत वर्ष कश्मीर में परिस्थिति सामान्य होने के उपरांत यहां पूजा आरंभ हुई है । जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी यहां पूजा की ।
८. ए.एस.आई. ने इस मंदिर में होने वाली पूजा पर आपत्ति जताई थी । जब ए.एस.आई. ने कार्यभार संभाला, तब यहां पूजा नहीं होती थी, इसलिए उन्होंने कहा, ‘पूजा नए सिरे से आरंभ नहीं की जा सकती’; किंतु अब इस मंदिर में नियमित पूजा की जाती है ।
९. अब यदि इस समिति की अनुशंसा पर कृति की जाती है, दशकों तक तथा कुछ अन्य स्थानों पर तो सदियों से पूजा नहीं हो रही है; किंतु धार्मिक महत्त्व वाले ऐसे मंदिरों में पुन: घंटियों एवं खंजनी की ध्वनि सुनाई देगी ।