NCERT : ‘इंडिया’ और ‘भारत’ में भेद नहीं करते ! – एन्.सी.ई.आर.टी.

नया पाठ्यक्रम और पुस्तकें बनाने की प्रक्रिया जारी है, इसलिए इसपर अभी तुरंत कुछ बोलना अनुचित होगा, ऐसा दिया स्पष्टीकरण


नई देहली – राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एन्.सी.ई.आर.टी.) ‘इंडिया’ और ‘भारत’ में भेद नहीं करती, ऐसी जानकारी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सांसद में दी । केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी ने राज्यसभा में कहा, ‘‘हमारा देश औपनिवेशीकरण की मानसिकता से बाहर निकल रहा है । हम भारतीय भाषा के शब्द प्रयुक्त करने को प्रात्साहन दे रहे हैं ।’’ विशेष बात यह है कि इस वर्ष एन्.सी.ई.आर.टी. की समिति ने अक्टूबर में पुस्तकों से ‘इंडिया’ शब्द निकालने की सलाह दी थी । एन्.सी.ई.आर.टी. ने कहा है कि, ‘समिति की इस सलाह पर अभीतक कोई निर्णय नहीं लिया गया है । नया पाठ्यक्रम और पुस्तकें बनाने की प्रक्रिया जारी है । इस विषय पर अभी बोलना अनुचित होगा ।’

१. एन्.सी.ई.आर.टी. ने नई शिक्षा नीति के अंतर्गत पाठ्यक्रम में परिवर्तन करने के लिए १९ सदस्यों की समिति स्थापित की थी । इसी समिति ने देश का नाम ‘इंडिया’ के स्थान पर ‘भारत’ लिखने को सूचित किया था । साथही पाठ्यक्रम से प्राचीन इतिहास हटाकर शास्त्रीय इतिहास और हिन्दू योद्धाओं की विजयगाथाओं को समाविष्ट करने की सलाह दी थी ।

२. इस समिति के अध्यक्ष सी.आय. इसाक ने कहा था कि भारत का उल्लेख विष्णुपराण जैसे ग्रंथों में है, जो ७ सहस्र वर्ष पुराना है । वर्ष १७५७ की प्लासी की लडाई के उपरांत ‘इंडिया’ नाम प्रयुक्त किया जाने लगा । ऐसा है, तो देश के लिए केवल ‘भारत’ नाम प्रयुक्त किया जाना चाहिए । ब्रिटिशों ने भारतीय इतिहास को प्राचीन, मध्ययुगीन और आधुनिक में विभाजित किया । प्राचीन इतिहास कहता है कि देश अंधेरे में था, उसमें वैज्ञानिक भान नहीं था । बच्चों को मध्ययुगीन और आधुनिक इतिहास के साथ शास्त्रीय इतिहास भी सिखाया जाना चाहिए ।