श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी के माध्यम से साक्षात आदिशक्ति जगदंबा पृथ्वी पर वास कर रही हैं ! – सप्तर्षि
भक्त अपने-अपने भावानुसार, अनुभूति अनुसार, साधनामार्गानुसार भगवान का वर्णन करता है ! भगवान का प्रत्यक्ष रूप कैसा है ?, इसका केवल वेद, उपनिषद में ही वर्णन मिलता है । उसी प्रकार अवतारों की भी महिमा है । सनातन की अवतारी गुरुपरंपरा सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी एवं उनकी आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी तथा श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के विषय में साधकों को अनेक बार प्रतीति हुई है । ऐसा होते हुए भी उनका खरा स्वरूप केवल भगवान को ही पता है । लाखों वर्ष पूर्व सप्तर्षियों ने उनके अवतारी कार्य और आध्यात्मिक सामर्थ्य के विषय में जो लिखकर रखा है, उसका वर्णन मानव वाणी से करना असंभव है ! इस लेख से सप्तर्षियों ने विविध प्रसंगों में नाडीपट्टिका वाचन द्वारा श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) गाडगीळजी के आध्यात्मिक अधिकार के विषय में व्यक्त किए गौरवोद्गार देखेंगे !
१. श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी को देवताओं के आशीर्वाद प्राप्त हैं !
अ. श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी पर देवी सरस्वती की असीम कृपा : सप्तर्षि कहते हैं, ‘हे कार्तिकपुत्री (श्रीचित्शक्ति [श्रीमती] अंजली गाडगीळजी), हम तुम्हें ज्ञानपुत्री कहते हैं । तुम पर देवी सरस्वती की असीम कृपा है । बुद्धि और ज्ञान, ये दोनों भिन्न हैं । कार्तिकपुत्री के पास ज्ञान है । ज्ञानप्रदायिनी देवी श्री सरस्वती हैं । सरस्वती का अखंड आशीर्वाद होने से ही कार्तिकपुत्री को ज्ञानप्राप्ति हुई है ।’ – सप्तर्षि (संदर्भ : सप्तर्षि जीवनाडी-पट्टिका वाचन क्रमांक १९८ [१५.४.२०२२])
(‘यह सत्य है । श्रीचित्शक्ति [श्रीमती] अंजली गाडगीळजी ने १२ वर्ष ईश्वर से ज्ञान प्राप्त करने की सेवा की है । सनातन संस्था द्वारा प्रकाशित ७५ से भी अधिक ग्रंथों में वे सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के साथ सहसंकलनकर्ता हैं ।’ – संकलनकर्ता)
आ. कार्तिकपुत्री की यात्रा में विविध रूपों में देवताओं का सान्निध्य ! : ‘कार्तिकपुत्री पृथ्वी पर जहां-जहां यात्रा करती हैं, वहां-वहां उनके साथ वीरबाहु नामक एक देवता होते हैं ।’ (सप्तर्षि जीवनाडी-पट्टिकावाचन क्रमांक २०७ (१८.७.२०२२))
इ. श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी की सहायता के लिए देवता का छाया रूप में सतत उनके साथ रहना : ‘आदिशक्ति का अवतार श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी और श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी की रक्षा हेतु पृथ्वी पर हंसवाहिनी श्री सरस्वतीदेवी, द्वादश आदित्य, एकादश रुद्र, सूर्य, चंद्र, सप्तषि, सप्तमातृका एवं नारद-तुंबरू, ये सभी छाया रूप में सतत उनके साथ रहते हैं । श्रीविष्णु के वाहन गरुड और श्री महालक्ष्मी का वाहन उल्लू भी उनके साथ होता है ।’ – सप्तर्षि (संदर्भ : सप्तर्षि जीवनाडी-पट्टिकावाचन क्रमांक २०४ (१४.६.२०२२))
ई. ‘आदिशक्ति जगदंबा छायारूप में श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के माध्यम से पृथ्वी पर वास कर रही हैं !’ – सप्तर्षि (संदर्भ : सप्तर्षि जीवनाडीपट्टिकावाचन क्रमांक १४५ [१७.५.२०२०])
२. श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी का दैवीय कार्य
अ. कार्तिकपुत्री की दैवीय यात्रा के कारण सनातन संस्था, सनातन के आश्रम और सर्वत्र के साधकों की रक्षा होती है ! : ‘कार्तिकपुत्री की दैवीय यात्रा आरंभ करने के पश्चात उनकी साधना में यात्रा – संत, सद्गुरु और अब गुरुदेवजी की ‘आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी’, इस प्रकार हुआ । इसलिए यह दैवीय यात्रा बहुत महत्त्वपूर्ण है । कार्तिकपुत्री ने अब तक अनेक दिशाओं में यात्रा की है । कार्तिकपुत्री की (सप्तर्षियों की आज्ञा से विविध मंदिरों में पूजा और आध्यात्मिक स्तर पर उपचार करने के लिए) दैवीय यात्रा के कारण सनातन संस्था, सनातन के आश्रम एवं सर्वत्र के साधकों की रक्षा होती है; इसलिए कार्तिकपुत्री को यह दैवीय यात्रा करनी है । उन्हें अब भी बहुत यात्रा करनी है ।’ – सप्तर्षि (संदर्भ : सप्तर्षि जीवनाडी-पट्टिका वाचन क्रमांक १९६ [३.२.२०२२])
आ. कार्तिकपुत्री का विविध विषयों पर ओजस्वी वाणी में मार्गदर्शन ! : ‘कार्तिकपुत्री बीच-बीच में साधना के विषय में, अध्यात्म के विषय में, सच्चिदानंद परब्रह्म गुरुदेवजी के विषय में, सप्तर्षियों के विषय में जो लेखन करती हैं, वह सर्वत्र के साधकों को बहुत अच्छा लगता है । उनका लेखन पढते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि ‘वे हमारे समक्ष ही ओजस्वी वाणी में बोल रही हैं ।’ – सप्तर्षि (संदर्भ : सप्तर्षि जीवनाडी-पट्टिका वाचन क्रमांक १९६ [३.२.२०२२])
(‘सत्य है । अनेक साधकों को इसकी प्रीति हुई है ।’- संकलनकर्ता)
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी !‘श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी शंखचक्रधारी श्रीमन्नारायणस्वरूप सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की स्वस्वरूप हैं !’ – सप्तर्षि (संदर्भ : सप्तर्षि जीवनाडी-पट्टिका वाचन क्रमांक १४५ [१७.०५.२०२०]) ‘सच्चिदानंद परब्रह्म गुरुदेवजी ने यदि स्वर्णालंकार धारण किए, तो उन अलंकारों की नक्काशी हैं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी !’ – सप्तर्षि (संदर्भ : सप्तर्षि जीवनाडी-पट्टिका वाचन क्रमांक १४७ [१६.०६.२०२०]) |