Advocate Vishnu Jain : काशी-मथुरा मुक्त कर पुनः सनातन धर्म को सौंपने का समय आ गया है ! – अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, सर्वोच्च न्यायालय

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन का सम्मान करते हुए बायें से श्री विघ्नहर गणपति मंदिर देवस्थान के न्यासी श्री. आनंदराव मांडे, अध्यक्ष श्री. गणेश कवडे, अधिवक्ता संदीप जायगुडे (पीछे), अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, भीमाशंकर के श्री. सुरेश कौदरे एवं श्री. चेतन राजहंस

ओजर, ३ दिसंबर (समाचार.) – काशी-मथुरा मुक्त करना, यह हिन्दुओं के अस्तित्व की लडाई है । पुनर्स्थापना के लिए ये देवता सनातन धर्मियों की प्रतीक्षा कर रहे हैं । ‘काशी-मथुरा मुक्त हों’, छत्रपति शिवाजी महाराजजी की ऐसी इच्छा थी । काशी-मथुरा मुक्त कर पुनः सनातन धर्म को सौंपने का समय आ गया है, काशी विश्‍वेश्‍वर एवं मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि को इस्लामी अतिक्रमण से मुक्त करने के लिए न्यायालयीन लडाई लडनेवाले सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैनजी ने ऐसा आवाहन किया । अधिवक्ता जैन श्री विघ्नहर गणपति मंदिर देवस्थान, लेण्याद्री गणपति मंदिर देवस्थान, श्री क्षेत्र भीमाशंकर देवस्थान, हिन्दू जनजागृति समिति एवं महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के सहयोग से ओजर में आयोजित ‘महाराष्ट्र मंदिर-न्यास परिषद’ में उपस्थित मंदिरों के न्यासियों को मंदिरों की रक्षा के लिए संघर्ष करने का आवाहन करते समय ऐसा बोल रहे थे । इस समय व्यासपीठ पर हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे, अधिवक्ता संदीप जायगुडे एवं सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस उपस्थित थे । इस समय अधिवक्ता विष्णु जैन का सम्मान किया गया । श्री विघ्नहर गणपति मंदिर देवस्थान के अध्यक्ष श्री. गणेश कवडे, न्यासी श्री. आनंदराव मांडे एवं भीमाशंकर के श्री. सुरेश कौदरे ने अधिवक्ता जैन का सत्कार किया ।

‍विषय प्रस्तुत करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन

इस समय अधिवक्ता जैन ने कहा, ‘मंदिर गिराकर सैकडों वर्ष बीत गए । उन पर मुसलमानों ने ‘वजू अदा’ किया, तब भी मंदिर के देवता का अस्तित्व कभी भी नष्ट नहीं हो सकता । मूर्ति तोडने से देवता का अस्तित्व नष्ट नहीं होता । देवता सूक्ष्म रूप से उसी स्थान पर वास करते हैं । काशी विश्‍वेश्‍वर का मंदिर तोडकर मंदिर के भग्नावशेष पर गुंबज निर्माण कर नमाज पठन किया जा रहा है । प्राचीन मंदिर पर ही यह मस्जिद का निर्माण किया गया है । इस स्थान पर स्थित श्री श्रृंगारदेवी के मंदिर का द्वार बंद कर दिया गया है । विविध देवताओं के स्थानों पर कब्रों का निर्माण कर हिन्दुओं को भगा दिया गया । वर्तमान स्थिति में केवल वर्ष में एक बार इस स्थान पर हिन्दुओं को पूजा के लिए प्रवेश दिया जाता है । हिन्दुओं के मंदिर नियंत्रित करने का यह षड्यंत्र है । इसके विरुद्ध हमारी न्यायालयीन लडाई चालू है । १६ मई २०२२ को इस स्थान पर ‘वजू अदा’ करने पर न्यायालय ने प्रतिबंध लगा दिया है । इस स्थान पर केंद्रीय पुरातत्व विभाग द्वारा किए सर्वेक्षण का विवरण (रिपोर्ट) ११ दिसंबर को न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा । काशी विश्‍वेश्‍वर मंदिर के अष्टमंडप (पंडाल) में सभी हिन्दुओं को पुनः पूजा-अर्चा करने का अवसर शीघ्र ही प्राप्त होगा ।

(सौजन्य : Hindu Janajagruti Samiti) 

श्रीकृष्ण जन्मभूमि का सर्वेक्षण भी शीघ्र ही होगा !

अयोध्या में श्रीराममंदिर का निर्माण करने में केंद्रीय पुरातत्व विभाग का सर्वेक्षण महत्त्वपूर्ण प्रमाणित हुआ । श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर हुए इस्लामी अतिक्रमण यह हमारा राष्ट्रीय प्रश्‍न है । इलाहाबाद उच्च न्यायालय में इस संदर्भ में अभियोग चल रहा है । काशी विश्‍वेश्‍वर मंदिर की भांति श्रीकृष्ण जन्मस्थान का भी शीघ्र ही केंद्रीय पुरातत्व विभाग द्वारा सर्वेक्षण किया जाएगा, अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने ऐसा विश्वास व्यक्त किया है ।

‘न्यायमंदिर’ संकल्पना का स्रोत मंदिर द्वारा ही !

‘मंदिर’ हिन्दू धर्म के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण विषय है । वर्तमान स्थिति में कुछ लोग मंदिरों को वि‌‌त्त-व्यवस्था से जोड रहे हैं । वर्तमान में देश की कुल अर्थव्यवस्था में मंदिरों की अर्थव्यवस्था का भाग २.३५ प्रतिशत जितना है । हमारी संस्कृति में मंदिर आर्थिक कारण के लिए नहीं होते । ‘न्यायव्यवस्था को ‘न्यायमंदिर’ कहा जाता है; ‘चर्च ऑफ जस्टिस’, नहीं । इसका कारण न्याय की संकल्पना मंदिर से जुडी हुई है । ‘मंदिर में न्याय मिलता है’, ऐसी अपनी प्रचीन काल से ही चली आ रही परंपरा है । भारत के प्रत्येक गांव में इस प्रकार की व्यवस्था होना महत्त्वपूर्ण है, इस समय अधिवक्ता जैन ने ऐसा कहा है ।