परिवार के भ्रष्टाचारियों का विरोध करना साधना ही है !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी

‘मेरा पति भ्रष्टाचारी है’, यह ज्ञात होने पर उसकी धर्मपत्नी और निकट के परिजन उसे पाप से बचाने के लिए उसे समझाना, उसके पापमय धन को स्वीकार नहीं करना इत्यादि प्रयास करें । इससे भी उसमें परिवर्तन ना हो, तो उसके विरोध में शिकायत करें । जिससे पाप में सम्मिलित होने का पाप उन्हें नहीं लगेगा ।’

✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक